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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में लगातार बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं, जिससे प्रशासन और स्थानीय लोग सतर्क हो गए हैं। सोमवार को कुपवाड़ा जिले के लोलाब क्षेत्र और कठुआ जिले के बनी इलाके में बादल फटने की खबर मिली। हालांकि, इस हादसे में किसी जानमाल की हानि नहीं हुई, परंतु भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया है।
लगातार बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
प्रदेश के कई इलाकों में सुबह से दोपहर तक बारिश होती रही। खासकर दक्षिण कश्मीर को जम्मू से जोड़ने वाली मरगन-सिंथनटाप सड़क बंद हो गई, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, जम्मू संभाग के सभी स्कूलों और कॉलेजों में 19 अगस्त को छुट्टी का ऐलान किया गया है ताकि छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र ने मंगलवार को मध्यम से भारी बारिश की संभावना जताई है। उन्होंने नदी-नाले के किनारे रहने वाले और भूस्खलन वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी है। इस बीच, सभी जिलों में आपदा नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन सक्रिय कर दी गई हैं ताकि आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई हो सके।
कुपवाड़ा और कठुआ में बादल फटने के प्रभाव
कुपवाड़ा के लोलाब इलाके के वारनोव जंगल में सुबह बादल फटने के बाद बाढ़ जैसी स्थिति बनी। कई पेड़ गिर गए और पानी जमा होने से क्षेत्र में दिक्कतें पैदा हो गईं। कठुआ जिले के पहाड़ी हिस्से बनी में भी बादल फटने से वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है, हालांकि रिहायशी इलाकों में बाढ़ का पानी नहीं पहुंचा है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीम घटनास्थल का जायजा ले रही है।
पहलगाम और सोनमर्ग में पहली बर्फबारी
उत्तर-पूर्वी कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सोनमर्ग और पहलगाम में सोमवार को इस मौसम की पहली बर्फबारी हुई। अमरनाथ गुफा और उसके आसपास के इलाकों में बर्फबारी ने घाटी के तापमान को भी गिरा दिया है। काजागुंड में सबसे अधिक 25 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई, वहीं श्रीनगर और गुलमर्ग में भी अच्छी बारिश हुई है।
प्रशासन की तैयारी और लोगों को सुरक्षा संदेश
मौसम विभाग ने ऊंचे पहाड़ी इलाकों में बादल फटने, निचले इलाकों में बाढ़, और भूस्खलन की आशंका जताई है। जम्मू-श्रीनगर हाईवे, बटोत-डोडा-किश्तवाड़ और जम्मू-राजौरी-पुंछ मार्ग के संवेदनशील हिस्सों में चट्टान खिसकने की संभावना के मद्देनजर भी प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
सरकार ने सभी उपायुक्तों, पुलिस बल, एसडीआरएफ और इंजीनियरिंग विभाग को सतर्क रहने और आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को नदियों और जलाशयों की निगरानी भी 24 घंटे करने को कहा गया है।
साथ ही यात्रियों और पर्यटकों को भारी बारिश के दौरान पहाड़ी रास्तों से बचकर चलने और यात्रा की योजना पहले से सोच-समझ कर बनाने की हिदायत दी गई है।
पांच दिन में 80 से ज्यादा मौतें
जानकारी के अनुसार, 14 अगस्त को किश्तवाड़ में बादल फटने से 63 लोगों की जान गई थी। इसके बाद 17 अगस्त को कठुआ में सात लोग बाढ़ की चपेट में आ गए। लद्दाख के खंगराल इलाके में पांच दिन पहले हुई आपदा के बाद श्रीनगर-लेह राजमार्ग के लामायूरु मार्ग पर भी बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है। इस मार्ग पर अभी भी खाद्य सामग्री लेकर कई वाहन फंसे हुए हैं, सड़क हल्के वाहनों के लिए आंशिक रूप से खुली है, लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है।
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