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Up kiran,Digital Desk : 8वें वेतन आयोग का गठन हो गया है! जैसे ही यह ख़बर आई, देश के करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के मन में एक ही सवाल घूमने लगा - "तो हमारी सैलरी कब बढ़ेगी? पैसा जेब में कब आएगा?"

सरकार ने आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 18 महीने का समय दिया है। लेकिन क्या यह काम समय पर हो पाएगा? या फिर हमें और लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा? चलिए, समझते हैं कि अंदर की बात क्या है।

कितना और इंतज़ार करना पड़ेगा?

  • 7वें वेतन आयोग को बनने से लेकर लागू होने तक लगभग 29 महीने लग गए थे।
  • 6वें वेतन आयोग में भी 22 महीने का समय लगा था।

इसी हिसाब से विशेषज्ञ मान रहे हैं कि 8वें वेतन आयोग को भी पूरी तरह से लागू होने में लगभग दो साल का समय लग सकता है।

क्यों होती है इतनी देर?

दरअसल, यह कोई छोटा-मोटा काम नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ी और लंबी प्रक्रिया है। आयोग जब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है, तो उसके बाद भी इसे कई दरवाज़ों से गुज़रना पड़ता है - मंत्रियों की एक टीम इसे देखती है, फिर कैबिनेट की मंज़ूरी मिलती है, और भी कई विभागों से हरी झंडी लेनी पड़ती है। इस सब में ही 4 से 6 महीने और लग जाते हैं।

क्या चुनाव से पहले मिलेगा तोहफ़ा?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार 2027 में होने वाले यूपी चुनाव से पहले कर्मचारियों को यह ख़ुशख़बरी देगी? कुछ लोगों का मानना है कि इतने बड़े राज्य में चुनाव से ठीक पहले सैलरी बढ़ाना सरकार के लिए एक बड़ा सियासी फ़ायदा हो सकता है। लेकिन ज़्यादातर कर्मचारी संगठनों का कहना है कि चुनाव से पहले इसे पूरी तरह से लागू कर पाना लगभग नामुमकिन है।

अगर देर हुई, तो क्या सरकार देगी 'मरहम'?

तो क्या इसका मतलब है कि हमें लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा? शायद नहीं।
अगर प्रक्रिया में देरी होती है, तो सरकार एक बीच का रास्ता अपना सकती है - अंतरिम राहत (Interim Relief)।

इसका मतलब है कि जब तक रिपोर्ट पूरी तरह लागू नहीं होती, तब तक सरकार आपकी बेसिक सैलरी पर कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है, ताकि आपकी जेब पर ज़्यादा बोझ न पड़े। ऐसा पहले 5वें वेतन आयोग के समय भी तीन बार हो चुका है।

कुल मिलाकर, अच्छी ख़बर यह है कि शुरुआती काम तेज़ी से चल रहा है। देर-सवेर, 2027 के अंत तक इसके लागू होने की पूरी उम्मीद है। उम्मीद है कि जल्द ही आपको कोई और ठोस ख़बर सुनने को मिलेगी।