
नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। आम आदमी पार्टी (AAP) को उस समय बड़ा झटका लगा जब उसके 13 पार्षदों ने एक साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इन नेताओं ने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी एक नई राजनीतिक पार्टी के गठन की घोषणा कर दी है।
इस्तीफा देने वाले पार्षदों का आरोप है कि पार्टी में लोकतंत्र की जगह सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्थानीय प्रतिनिधियों की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है और संगठन अब जनता की नहीं, बल्कि निजी स्वार्थों की सेवा कर रहा है।
इन बागी नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने लंबे समय तक पार्टी के अंदर रहते हुए सुधार की कोशिश की, लेकिन लगातार अनदेखी और अपमान के चलते उन्हें यह कठोर कदम उठाना पड़ा। नए राजनीतिक मंच का नाम अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन उन्होंने संकेत दिया है कि यह पार्टी नगर निकाय और विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के लिए यह स्थिति चिंता का कारण हो सकती है, खासकर तब जब नगर निगम में उसका दबदबा बना हुआ है। एक साथ 13 पार्षदों का इस्तीफा पार्टी के भीतर गहरे असंतोष और दरार को उजागर करता है।
AAP की ओर से अभी तक इस घटनाक्रम पर आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने स्थिति की समीक्षा के लिए आपात बैठक बुलाई है और जल्द ही इसका जवाब दिया जाएगा।
निष्कर्ष: दिल्ली की राजनीति में यह घटनाक्रम बड़ा बदलाव ला सकता है। जहां एक ओर बागी पार्षद अपनी नई पार्टी के ज़रिए राजनीतिक विकल्प देने का दावा कर रहे हैं, वहीं AAP को आंतरिक एकजुटता बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
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