Up Kiran, Digital Desk: शहर में एक बार फिर साफ़-सुथरे दिखने वाले आयुर्वेदिक तंबू और दुकानों ने किसी की जिंदगी तबाह कर दी। 29 साल का एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अब 48 लाख रुपये गंवा चुका है और उसकी किडनी भी जवाब दे रही है। सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने शादी के बाद सामान्य सी दिखने वाली निजी समस्या का इलाज गलत जगह ढूंढ लिया।
पहले अस्पताल गए फिर सड़क किनारे तंबू में फंसे
शादी को अभी एक साल भी नहीं हुआ था कि युवक को गुप्त स्वास्थ्य संबंधी परेशानी शुरू हुई। पहले वह केंगरी के बड़े अस्पताल में दिखाया। डॉक्टरों ने जांच की और दवाएं दीं। लेकिन 3 मई को उसी अस्पताल जाते वक्त उल्लाल रोड पर लॉ कॉलेज के पास एक रंग-बिरंगा आयुर्वेदिक तंबू दिखा। बाहर पोस्टर लगे थे – “एक बार में सब ठीक”। लालच आया और वह अंदर घुस गए।
विजय गुरुजी का जादुई जाल
तंबू में मौजूद शख्स ने कहा कि विजय गुरुजी चमत्कार कर देंगे। शाम को वही शख्स खुद विजय गुरुजी बनकर आए। हाथ देखा नाड़ी देखी और बोले – आपको देवराज बूटी चाहिए। यह दवा सिर्फ यशवंतपुर की विजयलक्ष्मी आयुर्वेदिक दुकान पर मिलेगी। एक ग्राम की कीमत 1.6 लाख रुपये। नकद चाहिए और अकेले आना होगा वरना दवा की शक्ति चली जाएगी।
घर-परिवार और दोस्तों से उधार पर उधार
पहले दिन ही घर से पैसे लाए और दवा खरीदी। फिर 76 हजार रुपये प्रति ग्राम वाला तेल। हर हफ्ते नई दवा और नया बहाना। पत्नी से झूठ बोला। माता-पिता से उधार लिया। जब पैसे खत्म हुए तो बैंक से 20 लाख का लोन ले लिया। बाद में दोस्त से 10 लाख और उधार लिए। इस तरह धीरे-धीरे 48 लाख रुपये विजय गुरुजी की जेब में चले गए।
दवा नहीं जहर निकली
सारी दवाएं खाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। उल्टा शरीर कमजोर पड़ने लगा। जब दोबारा ब्लड टेस्ट कराया तो किडनी के नतीजे डराने वाले थे। डॉक्टरों ने साफ कहा कि ये हर्बल प्रोडक्ट्स नहीं बल्कि भारी धातुओं से भरे जहरीले मिश्रण हैं। अब युवक की हालत गंभीर है और पैसा भी डूब गया।
पुलिस में शिकायत दर्ज
ज्ञानभारती थाने में केस दर्ज हो चुका है। शिवमोग्गा का रहने वाला यह युवक पिछले तीन साल से बेंगलुरु में नौकरी कर रहा था। अब वह विजय गुरुजी, तंबू चलाने वाले दलाल और विजयलक्ष्मी आयुर्वेदिक दुकान के मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहता है।
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