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Up Kiran, Digital Desk: आधुनिक प्रौद्योगिकी के युग में, 'रेयर अर्थ मैग्नेट' (दुर्लभ पृथ्वी चुंबक) कई आवश्यक उपकरणों का एक अभिन्न हिस्सा हैं। स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन (EVs), पवन टर्बाइन और रक्षा उपकरणों जैसे उत्पादों में इनका उपयोग होता है। हालांकि, भारत के लिए इन महत्वपूर्ण मैग्नेट की आपूर्ति एक चिंता का विषय बन गई है।

हाल के घटनाक्रमों ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया है कि भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति श्रृंखला में संभावित जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। इस जोखिम का मुख्य कारण इन मैग्नेट और इन्हें बनाने वाले दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के लिए कुछ सीमित वैश्विक स्रोतों पर निर्भरता है। जब आपूर्ति कुछ ही क्षेत्रों या देशों में केंद्रित होती है, तो भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार नीतियां या यहां तक कि प्राकृतिक आपदाएं भी आपूर्ति में बाधा डाल सकती हैं।

भारत अपनी बढ़ती हुई तकनीकी और विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं के लिए इन मैग्नेट पर बहुत हद तक निर्भर है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का विस्तार करने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट की स्थिर और विश्वसनीय आपूर्ति महत्वपूर्ण है।

इस निर्भरता के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यदि आपूर्ति बाधित होती है, तो यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, तकनीकी प्रगति को धीमा कर सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।

इस जोखिम से निपटने के लिए, भारत को अपनी रेयर अर्थ आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसमें घरेलू स्तर पर दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के खनन और प्रसंस्करण क्षमताओं को विकसित करना, वैकल्पिक स्रोतों का पता लगाना और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करना शामिल हो सकता है।

रेयर अर्थ मैग्नेट आपूर्ति पर निर्भरता भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौती है। इस मुद्दे को संबोधित करना देश की आर्थिक सुरक्षा और तकनीकी संप्रभुता के लिए आवश्यक है।

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