Up Kiran, Digital Desk: लक्सर के खानपुर क्षेत्र के गिद्धावाली गांव में हर दिन एक मां की आंखें दरवाजे की ओर टिकी रहती हैं, उम्मीद में कि उसका बेटा लौट आएगा। 18 वर्षीय हरीश 3 फरवरी को रायसी स्थित अपनी दुकान के लिए निकला था, लेकिन उसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है। ये मामला अब केवल एक गुमशुदगी का नहीं, बल्कि लोगों की सुरक्षा और पुलिस की कार्यशैली पर उठते सवालों का बन गया है।
क्या पुलिस ने समय रहते कदम उठाया होता?
परिवार का कहना है कि उन्होंने उसी दिन खानपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, लेकिन शुरुआती जांच में पुलिस की सुस्ती ने मामला और पेचीदा बना दिया। परिजनों के अनुसार, अगर शुरुआत से ही गंभीरता दिखाई जाती, तो शायद आज हरीश उनके साथ होता।
टूटते हौसले, फिर भी उम्मीद ज़िंदा
हरीश के पिता प्रमोद, मां सुनीता, बहन मीनाक्षी और चाचा हर दिन उसकी खबर के इंतज़ार में हैं। मां सुनीता कहती हैं, "हर सुबह लगता है आज वो लौट आएगा, पर हर शाम उम्मीदें बिखर जाती हैं।" आठ महीने की लंबी प्रतीक्षा और प्रशासनिक उदासीनता ने परिवार को मानसिक रूप से झकझोर कर रख दिया है।
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