Up Kiran, Digital Desk: पिछले तीन हफ्ते भारतीय फिल्म और संगीत जगत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे हैं. एक के बाद एक, इंडस्ट्री ने अपने 10 अनमोल रत्नों को हमेशा के लिए खो दिया है. यह एक ऐसा खालीपन है, जिसे भरना शायद मुमकिन नहीं होगा. कॉमेडी के बादशाह से लेकर ग़ज़ल की रूहानी आवाज़ तक, इन कलाकारों का जाना हर किसी की आंखें नम कर गया है.
यह सिर्फ कुछ कलाकारों का निधन नहीं है, बल्कि यह उन किरदारों, उन आवाज़ों और उन यादों का अंत है, जिनके साथ हम बड़े हुए हैं. आइए, उन सितारों को याद करें, जिन्होंने हाल ही में इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
वो 10 सितारे, जो छोड़ गए अपनी यादें
असरानी (Asrani): "शोले" के 'अंग्रेजों के जमाने के जेलर' को कौन भूल सकता है? अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग से पांच दशकों तक दर्शकों को हंसाने वाले असरानी साहब का जाना कॉमेडी के एक युग का अंत है.
सतीश शाह (Satish Shah): 'साराभाई वर्सेज साराभाई' के इंद्रवदन हों या 'जाने भी दो यारों' के म्युनिसिपल कमिश्नर, सतीश शाह ने हर किरदार में जान डाल दी. उनका जाना अभिनय की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है.
ज़रीन खान (Zarine Khan): वह एक गुज़रे ज़माने की अदाकारा और निर्माता संजय खान की माँ थीं. खान परिवार की इस सबसे वरिष्ठ सदस्य का जाना परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
जूनियर महमूद (Junior Mehmood): एक बाल कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले जूनियर महमूद ने कई यादगार फिल्मों में काम किया. उनकी मासूमियत और अभिनय ने लाखों दिल जीते.
संजय गढ़वी (Sanjay Gadhvi): 'धूम' और 'धूम 2' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले निर्देशक संजय गढ़वी के जाने से इंडस्ट्री ने एक प्रतिभाशाली फिल्ममेकर खो दिया है. उनकी फिल्मों ने एक्शन को एक नई परिभाषा दी.
लीलावती (Leelavathi): दक्षिण भारतीय सिनेमा की एक दिग्गज अभिनेत्री, जिन्होंने 600 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया. उन्होंने कन्नड़, तमिल और तेलुगु सिनेमा में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी.
सुहानी भटनागर (Suhani Bhatnagar): यह सबसे दिल तोड़ने वाली खबर थी. फिल्म 'दंगल' में छोटी बबीता फोगाट का किरदार निभाने वाली सुहानी का इतनी कम उम्र में चले जाना हर किसी को स्तब्ध कर गया.
रितुराज सिंह (Rituraj Singh): टीवी और फिल्मों का एक जाना-पहचाना चेहरा, रितुराज ने कई सफल सीरियलों और फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया.
पंकज उधास (Pankaj Udhas): "चिट्ठी आई है..." इस एक गाने ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया. ग़ज़ल की दुनिया के इस बादशाह का जाना संगीत जगत के लिए एक ऐसा खालीपन है, जो शायद कभी नहीं भरेगा.
अमीन सयानी (Ameen Sayani): "भाइयों और बहनों..." रेडियो पर यह आवाज़ सुनते ही पूरा देश रुक जाता था. 'बिनाका गीतमाला' से रेडियो के शहंशाह बने अमीन सयानी का जाना एक पूरे युग का अंत है.
इन कलाकारों का जाना सिर्फ कुछ चेहरों का पर्द से ओझल हो जाना नहीं है. यह भारतीय सिनेमा और संगीत के एक सुनहरे अध्याय का अंत है. वे भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी कला के जरिए वे हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगे.
_320524647_100x75.png)
_1347081195_100x75.png)
_754518323_100x75.png)
_1936894882_100x75.png)
_1742623608_100x75.png)