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Up Kiran, Digital Desk: अनुराग बसु द्वारा निर्देशित फिल्म 'मेट्रो इन डिनो' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आज के महानगरों की भागती-दौड़ती जिंदगी में पनपते रिश्तों की एक खूबसूरत और दिल को छू लेने वाली बुनाई है। यह फिल्म प्यार, अकेलापन, तलाश और जटिलताओं को बड़ी ही संवेदनशीलता और सादगी से पर्दे पर उतारती है। अगर आप रिश्तों की गहरी परतों को समझना चाहते हैं, तो यह फिल्म निश्चित रूप से आपको प्रभावित करेगी।

'मेट्रो इन डिनो' कई कहानियों का एक गुलदस्ता है, जो आपस में एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। यह एक एंथोलॉजी फिल्म है, जहाँ हर कहानी आज के समय के प्यार, दोस्ती, जुदाई, बेवफाई और उम्मीद के अलग-अलग रंग दिखाती है। फिल्म हमें दिखाती है कि महानगरों की भागती-दौड़ती जिंदगी में इंसान कैसे अपनी पहचान, अपना प्यार और अपना सुकून तलाशता है।

अनुराग बसु का जादू और प्रीतम का संगीत:
 

अनुराग बसु अपने सिग्नेचर स्टाइल में कहानियों की गहरी परतों को बड़ी सहजता से छूते हैं। उनका निर्देशन कमाल का है, जो किरदारों की भावनात्मक यात्रा को दर्शकों तक सीधे पहुंचाता है। फिल्म का पेस आरामदायक है, जो आपको हर कहानी में डूबने का मौका देता है।

प्रीतम का संगीत फिल्म की जान है। गानों में ठहराव और एक रूहानी सुकून है, जो फिल्म के भावनात्मक दृश्यों के साथ पूरी तरह घुलमिल जाता है। संगीत आपको फिल्म की कहानी में और गहराई से खींच ले जाता है और एक यादगार अनुभव देता है।

दमदार अभिनय:
 

फिल्म में कलाकारों की टोली शानदार है।अनिल कपूर और नीना गुप्ता अपनी अदाकारी से दिल जीत लेते हैं। उनके बीच की केमिस्ट्री और परिपक्वता रिश्तों की सच्चाई को दिखाती है। सारा अली खान और आदित्य रॉय कपूर ने आज के युवाओं की उलझनें, उनका प्यार और उनके संघर्षों को बखूबी पेश किया है। दोनों की केमिस्ट्री ताज़ा और आकर्षक है।

कोंकणा सेन शर्मा और अली फज़ल अपने किरदारों में पूरी तरह डूब गए हैं। उनका अभिनय फिल्म को एक अलग ही स्तर पर ले जाता है।पंकज त्रिपाठी और फातिमा सना शेख भी अपने-अपने ट्रैक में चमकते हैं और कहानी को मजबूती देते हैं।

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