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Up Kiran, Digital Desk: चुनाव जैसे ही करीब आते हैं, सबसे पहले चर्चा होती है मुस्लिम वोट बैंक की। खासतौर पर बिहार के सीमांचल इलाके में, जिसमें किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया शामिल हैं, मुस्लिम वोटरों की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार किशनगंज में मुस्लिम आबादी लगभग 68% है, जबकि अररिया में 43%, कटिहार में 45% और पूर्णिया में 39% मुस्लिम वोटर हैं। इसी वजह से इन जिलों की 24 विधानसभा सीटें सियासी पार्टियों के लिए खास महत्व रखती हैं।

लेकिन इस बार मुस्लिम वोटर के मुद्दे कुछ अलग हैं। जहां राजनीतिक चर्चाओं में वक्फ बिल और SIR जैसे कानूनों को लेकर नाराजगी की बात होती रही, वहीं असल मुद्दा बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा हैं। स्थानीय युवा कहते हैं, “यहाँ काम नहीं है। चुनाव आते हैं तो सब नौकरी की बात करते हैं, पर कोई सुनता नहीं।” पढ़ाई को लेकर भी गंभीर चिंता है, क्योंकि किशनगंज में उच्च शिक्षा के लिए सिर्फ एक मारवाड़ी कॉलेज है और सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय है।

मुस्लिम समाज में नीतीश कुमार को लेकर मिश्रित विचार हैं। जहां एक ओर वक्फ कानून को लेकर निराशा है, वहीं कई लोग मानते हैं कि नीतीश कुमार ने बिहार के लिए बेहतर काम किया है। खासकर महिलाएं मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत मिलने वाले 10 हजार रुपये की उम्मीद लिए उनकी तरफ झुकाव दिखाती हैं। महिलाओं का मानना है कि ‘नीतीश कुमार ही हमारे लिए बेहतर हैं’ और वे इस बार उन्हें वोट देंगी।

सियासी समीकरणों की बात करें तो लालू यादव की लोकप्रियता सीमांत होती नजर आ रही है। मुस्लिम महिलाएं महागठबंधन के खिलाफ अपनी भूमिका निभा सकती हैं, जो चुनाव में बड़ा फर्क डाल सकती हैं। वहीं, प्रशांत किशोर की कोशिशें सीमांचल में ज्यादा असरदार नहीं दिख रही हैं, लेकिन मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से उन्हें कुछ वोट जरूर मिलेंगे।

AIMIM के प्रति मुस्लिम युवाओं का आकर्षण भी बढ़ रहा है। जो वोटर पहले महागठबंधन के साथ थे, वे इस बार ओवैसी के साथ खड़े दिख रहे हैं। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘घुसपैठ’ जैसे मुद्दे उठाने से सीमांचल में महागठबंधन निशाने पर है, क्योंकि यहां मुस्लिम वोटर आमतौर पर बीजेपी का साथ नहीं देते।

कुल मिलाकर, सीमांचल में इस बार मुस्लिम वोट बैंक के रूझान को समझना और उनके असली मुद्दों को जानना बेहद जरूरी है। बेरोजगारी, शिक्षा, और महिलाओं की भूमिका इस चुनाव के बड़े खिलाड़ी साबित हो सकती है। इसलिए इस इलाके में चुनावी माहौल काफी दिलचस्प और जटिल बना हुआ है।