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Up Kiran, Digital Desk: बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में जहां हर कोई अवॉर्ड्स की दौड़ में भाग रहा है, जहां एक ट्रॉफी के लिए जमकर लॉबिंग होती है, उसी दुनिया में एक एक्टर ऐसा भी है जो इस दौड़ से कोसों दूर खड़ा है। हम बात कर रहे हैं अभिषेक बच्चन की, जिन्होंने फिल्म अवॉर्ड्स को लेकर एक ऐसी बात कही है जो न सिर्फ उनकी परिपक्वता (maturity) दिखाती है, बल्कि आज के दौर में अवॉर्ड्स की सच्चाई पर एक गहरी टिप्पणी भी करती है।

अवॉर्ड के लिए काम नहीं करता, लेकिन मिले तो

हाल ही में जब अभिषेक से अवॉर्ड्स को लेकर उनकी राय पूछी गई, तो उन्होंने कोई बनावटी या डिप्लोमेटिक जवाब नहीं दिया। उन्होंने बड़ी सादगी और ईमानदारी से कहा कि वह अवॉर्ड्स के लिए काम नहीं करते। उनका असली इनाम दर्शकों का प्यार और बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की सफलता है। लेकिन इसके आगे उन्होंने जो कहा, वह सबसे दिलचस्प था।

उन्होंने कहा, "मैं अवॉर्ड्स के लिए काम नहीं करता... लेकिन अगर आप मुझे कोई अवॉर्ड देना चाहते हैं, तो मैं उस पर बात करना चाहता हूं।"

इस एक लाइन में अभिषेक ने बहुत कुछ कह दिया।

क्या है इस जवाब का असली मतलब?

अभिषेक का यह कहना कि "मैं इस पर बात करना चाहता हूं" असल में आज के अवॉर्ड सिस्टम पर एक कटाक्ष है। उनका मतलब है कि अवॉर्ड सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं होना चाहिए, बल्कि यह कलाकार के काम की सच्ची सराहना (appreciation) का प्रतीक होना चाहिए।

वह जानना चाहते हैं कि क्यों? उन्हें अवॉर्ड क्यों दिया जा रहा है? उनके किस काम को सराहा जा रहा है? क्या यह सच में उनके अभिनय के लिए है या सिर्फ किसी को खुश करने के लिए?

वह मान्यता को महत्व देते हैं, ट्रॉफी को नहीं: उनके लिए अवॉर्ड उस बातचीत (conversation) का ज़रिया है जो उनके काम के इर्द-गिर्द होती है। जब ज्यूरी या दर्शक किसी परफॉर्मेंस को साल का सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, तो यह एक कलाकार के लिए सबसे बड़ी मान्यता होती है।

दौड़ से हैं कोसों दूर: उनका यह बयान दिखाता है कि वह किसी भी अवॉर्ड को पाने के लिए desperate नहीं हैं। उनका काम बोलता है, और अगर उस काम को सम्मान मिलता है, तो वह उसका स्वागत करते हैं, लेकिन अगर नहीं भी मिलता, तो उन्हें कोई शिकायत नहीं है।

पिछले कुछ सालों में ओटीटी से लेकर फिल्मों तक, अभिषेक बच्चन ने लगातार अपने किरदारों से साबित किया हैं (how talented an actor he is)। शायद यही वजह है कि आज वह उस मुकाम पर हैं जहां उन्हें अवॉर्ड्स की चमक से ज्यादा अपने काम की संतुष्टि में खुशी मिलती है।

यह जवाब उस हर कलाकार के लिए एक सबक है जो सिर्फ अवॉर्ड्स के पीछे भागता है। असली सम्मान दर्शकों के दिलों में होता है, अलमारी में रखी ट्रॉफी में नहीं।