
Up Kiran, Digital Desk: अजमेर शरीफ दरगाह के परिसर में एक हिंदू मंदिर होने के दावे से संबंधित मामले की सुनवाई को 30 अगस्त, 2019 तक के लिए टाल दिया गया है। इस दावे ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, खासकर जब ज्ञानवापी और मथुरा जैसे अन्य धार्मिक स्थलों पर भी इसी तरह के दावे सामने आ रहे हैं।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब अजमेर दरगाह के मुख्य गुंबद और दीवार पर कुछ हिंदू प्रतीकों के होने का दावा किया गया। इस दावे के बाद, दरगाह के भीतर मौजूद कुछ लोगों और हिंदू संगठनों द्वारा यह तर्क दिया गया कि यह स्थल पहले एक मंदिर था जिसे बाद में मस्जिद या दरगाह में बदल दिया गया।
इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए 30 अगस्त की अगली तारीख तय की है। यह स्थगन आगे की दलीलों और सबूतों के मूल्यांकन के लिए दिया गया है। यह मामला संवेदनशील धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
इस तरह के दावे देश में कई धार्मिक स्थलों पर सामने आ रहे हैं, जिससे नए कानूनी और सामाजिक विवाद पैदा हो रहे हैं। इन मामलों में ऐतिहासिक साक्ष्यों, पुरातात्विक सर्वेक्षणों और कानूनी व्याख्याओं की जटिल प्रक्रिया शामिल होती है। अजमेर दरगाह का यह मामला भी इसी कड़ी का हिस्सा है और अब सभी की निगाहें 30 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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