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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में इन दिनों शादियों का पीक सीजन चल रहा है। घरों में बैंड बाजा बज रहा है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान पर तीखा हमला बोला है। उनका साफ कहना है कि वो इस अभियान के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसका समय गलत चुना गया है। लोगों की प्लेट में शादी की तैयारी भरी पड़ी है और ऐसे वक्त में वोटर लिस्ट की सफाई का काम चलवाना सवाल खड़े करता है।

बिहार का उदाहरण देकर दी चेतावनी

यादव ने पुराना जख्म फिर कुरेदा। उन्होंने याद दिलाया कि बिहार विधानसभा चुनाव में ठीक यही खेल हुआ था। वहां भी मतदाता सूची की विशेष संशोधन प्रक्रिया चल रही थी और नतीजा सबने देखा। सबसे लोकप्रिय चेहरा माने जा रहे तेजस्वी यादव कई सीटों पर हार गए। वजह थी उन इलाकों में बड़े पैमाने पर वोट कटाई। अखिलेश का दावा है कि बिहार में BJP ने इसी तरीके से बाजी पलट दी थी जबकि जमीन पर RJD सबसे आगे दिख रही थी।

अखिलेश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मैं देख रहा हूं कि तमिलनाडु हो बंगाल हो या उत्तर प्रदेश। जहां जहां विपक्ष मजबूत है वहां वहां वोटर लिस्ट को लेकर एक ही तरह की कोशिश हो रही है। मकसद साफ है कि BJP जो खेल बिहार में कर चुकी है वही दोहराना चाहती है।

शादी के मौसम में क्यों SIR?

सपा सुप्रीमो ने सवाल उठाया कि जब पूरा प्रदेश शादियों में डूबा हो लोग कार्ड बांटने बारात ले जाने और दावत उड़ाने में व्यस्त हों तब वोटर लिस्ट साफ करने का काम क्यों? उनका कहना था कि इस वक्त ज्यादातर लोग घर से बाहर रहते हैं। गांव देहात में तो पूरा mohalla शादी में लगा रहता है। ऐसे में कोई अपने नाम की जांच करे या नया नाम जुड़वाए ये संभव ही नहीं है।

अखिलेश ने साफ किया कि मैं SIR का विरोधी नहीं हूं। मगर समयसीमा बढ़नी चाहिए। लोगों को मौका मिलना चाहिए।