img

Up kiran,Digital Desk : महाराष्ट्र की राजनीति में गठबंधन की गांठें एक बार फिर उलझती दिख रही हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार तो चल रही है, लेकिन उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे की बार-बार दिल्ली की दौड़ ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है. पिछले महीने ही दो बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने वाले शिंदे, पिछले एक साल में एक दर्जन से ज्यादा बार दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं. बुधवार को उनकी एक और मुलाकात हुई, और इस बार खबर है कि वह अपने सहयोगी दल बीजेपी से खासे नाराज हैं.

क्या है शिंदे की नाराज़गी की वजह?

सूत्रों के मुताबिक, शिंदे की नाराज़गी की मुख्य वजह महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण का आक्रामक रवैया है. शिंदे ने अमित शाह से शिकायत की है कि चव्हाण उनके नेताओं को तोड़कर अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. यह टकराव खासकर कल्याण-डोंबिवली इलाके में बढ़ गया है, जो शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे का राजनीतिक गढ़ माना जाता है. अपने ही गढ़ में बीजेपी की इस सेंधमारी ने शिंदे को बेचैन कर दिया है.

विपक्ष ने ली चुटकी पिताजी, मुझे बचाइए

शिंदे की इसी बेचैनी ने विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया है. शिंदे के दिल्ली दौरे से ठीक एक दिन पहले, उनके मंत्रियों ने साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में हिस्सा नहीं लिया, जिससे विवाद और बढ़ गया. इस पर चुटकी लेते हुए शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिंदे के दिल्ली दौरे को "बाबा माला वाचवा (पिताजी, कृपया मेरी मदद करें)" का नाम दे दिया. वहीं, एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रवक्ता ने कहा कि यह साफ संकेत है कि बीजेपी ने अपने गठबंधन सहयोगियों को खत्म करने का मन बना लिया है.

बीजेपी की तरफ से 'ऑल इज वेल' का दावा, पर दिल्ली से मिली नसीहत

हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गठबंधन में किसी भी तरह की दरार की खबरों को खारिज कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव गठबंधन के तौर पर ही लड़े जाएंगे, लेकिन "फ्रेंडली फाइट" से भी इनकार नहीं किया. वहीं, शिंदे ने भी गुरुवार को कहा कि "सब कुछ ठीक है."

लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही है. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में अमित शाह ने शिंदे को दो टूक संदेश दिया है:

क्या शिंदे का CM बनने का सपना फिर टूटेगा?

बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व एकनाथ शिंदे की दोबारा मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा से भी अच्छी तरह वाकिफ है. लेकिन पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी के 132 विधायक हैं, ऐसे में शिंदे की यह इच्छा पूरी करना "असंभव" है.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने यह भी याद दिलाया कि 2022 में महायुति को सत्ता में वापस लाने में शिंदे ने भले ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो, लेकिन उन्हें इसका इनाम "मुख्यमंत्री पद (2022-24) और बाद में शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री बनाकर" दिया जा चुका है.

साफ है कि महाराष्ट्र में सतह पर भले ही शांति दिख रही हो, लेकिन अंदर ही अंदर एकनाथ शिंदे अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि बीजेपी अपने विस्तार की रणनीति से कोई समझौता करने के मूड में नहीं है.