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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश के झींगा (Prawn) किसानों को इन दिनों बढ़ती लागत और कम मुनाफे के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अपनी आजीविका पर मंडराते इस संकट को देखते हुए, उन्होंने सरकार से बिजली और झींगा फीड (दाना) की कीमतों में तत्काल कटौती की मांग की है।

 राज्य के कई झींगा किसान, जो एक्वाकल्चर (aquaculture) उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बढ़ती इनपुट लागतों से जूझ रहे हैं। झींगा पालन एक पूंजी-गहन व्यवसाय है, जिसमें बिजली की खपत, गुणवत्तापूर्ण फीड, श्रम और अन्य परिचालन लागतें शामिल होती हैं। हाल के समय में, इन सभी लागतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे किसानों के लिए मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया है।

किसानों की मुख्य चिंताएं:

बिजली की बढ़ी हुई दरें: झींगा तालाबों में पानी के एरेटर (aerators) और पंप चलाने के लिए बड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है। बिजली की बढ़ी हुई दरें किसानों पर भारी वित्तीय बोझ डाल रही हैं।

फीड की कीमतें: झींगा फीड, जो उत्पादन लागत का एक बड़ा हिस्सा होता है, उसकी कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। उच्च गुणवत्ता वाले फीड की बढ़ती कीमतें किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं।

कम कीमतें और बाजार की अस्थिरता: किसानों को अपने उत्पादों के लिए अक्सर कम दाम मिलते हैं, और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों की अस्थिरता भी उनके मुनाफे को प्रभावित करती है।

किसानों ने अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रखा है और उनसे मांग की है कि बिजली पर सब्सिडी दी जाए और झींगा फीड की कीमतों को नियंत्रित किया जाए। उनका मानना है कि इन दो मुख्य लागतों में कटौती से उन्हें राहत मिलेगी और वे अपने व्यवसाय को बनाए रख पाएंगे।

आंध्र प्रदेश भारत में एक्वाकल्चर का एक प्रमुख केंद्र है, खासकर झींगा उत्पादन में। यह उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे में, झींगा किसानों की समस्याओं का समाधान करना राज्य सरकार के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की स्थिरता और विकास सुनिश्चित किया जा सके।

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