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Up kiran,Digital Desk : डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन ने सोमवार को साफ संदेश दिया कि ग्रीनलैंड समेत डेनमार्क के क्षेत्रीय अधिकार का सम्मान सभी देशों को करना चाहिए, चाहे वह अमेरिका ही क्यों न हो। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड के लिए विशेष दूत नियुक्त करने की घोषणा की है।

ट्रंप और ग्रीनलैंड
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही ग्रीनलैंड को लेकर कब्जे की बात कही थी। ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क का अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र है, खनिज संपदा और रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्च में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने वहां के एक सैन्य अड्डे का दौरा किया था और डेनमार्क पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया था।

धीरे-धीरे यह मुद्दा सुर्खियों से गायब हो गया, लेकिन अगस्त में डेनमार्क की सरकार ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया था और ट्रंप से जुड़े तीन लोगों पर ग्रीनलैंड में गुप्त अभियान चलाने का आरोप लगाया। अब, रविवार को ट्रंप ने लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ग्रीनलैंड के लिए विशेष दूत के रूप में नियुक्त किया। ट्रंप ने कहा कि लैंड्री समझते हैं कि ग्रीनलैंड अमेरिका और उसके सहयोगियों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

लैंड्री की प्रतिक्रिया
जेफ लैंड्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि ग्रीनलैंड को अमेरिका के हित में लाने का काम करना उनके लिए सम्मान की बात है।

डेनमार्क का रुख
इस पर डेनमार्क के विदेश मंत्री रासमुसेन ने कहा कि यह नियुक्ति केवल अमेरिकी हित की निरंतरता को दर्शाती है, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका समेत सभी देशों को डेनमार्क की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना होगा। इसी महीने की शुरुआत में डेनमार्क की रक्षा खुफिया सेवा ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिका अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल अपनी इच्छाएं थोपने और मित्र-दुश्मन दोनों के खिलाफ सैन्य दबाव बनाने में कर रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि ग्रीनलैंड की भू-राजनीतिक अहमियत लगातार बढ़ रही है, और अमेरिका और डेनमार्क के बीच इसका तनाव भी जारी रहेगा।