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Up Kiran, Digital Desk: न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास एक बार फिर मजबूत हुआ है, जब रानीखेत कोतवाली क्षेत्र में सामने आए एक संवेदनशील मामले में अन्य विशेष न्यायाधीश पॉक्सो, श्रीकांत पाण्डेय ने एक अहम फैसला सुनाया है. गुरुवार को दिए गए इस फैसले में, न्यायालय ने अपनी सौतेली बेटी द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को झूठा करार देते हुए एक पिता को दोषमुक्त कर दिया. यह मामला न केवल रिश्तों की जटिलता को उजागर करता है, बल्कि झूठे आरोपों के गंभीर परिणामों पर भी सोचने पर मजबूर करता है.
एक डांट और झूठे आरोपों का जाल
मामला जून 2023 का है, जब रानीखेत कोतवाली में एक 17 वर्षीय किशोरी ने अपने सौतेले पिता पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी. अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट के अनुसार, किशोरी ने बताया था कि उसकी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी और वह अपनी दादी के साथ मेरठ में रहती थी. पिछले साल ही वह अपनी माँ के पास गाँव आई थी, जहाँ उसका सौतेला पिता भी रहता था.
किशोरी के अनुसार, सौतेले पिता के साथ दादी का झगड़ा होने पर दादी कहीं चली गईं, जिसका फायदा उठाकर सौतेले पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया. उसने यह भी आरोप लगाया कि जब उसने इस बात की शिकायत अपने सौतेले भाई से की, तो पिता ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की कोशिश की. इन गंभीर आरोपों के आधार पर, रानीखेत कोतवाली ने सौतेले पिता के खिलाफ धारा 323 (मारपीट), 376 (दुष्कर्म), 506 (जान से मारने की धमकी) और पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया था.
न्याय की जीत और आरोपों की सच्चाई
पिछले एक साल 11 महीने से वह पिता जेल में बंद थे, न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे. न्यायालय में चली लंबी जिरह के दौरान, बेटी की तहरीर, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दिए गए उसके बयान और परिजनों की गवाही की गहनता से जाँच की गई. इस जाँच में चौंकाने वाला सच सामने आया: बेटी द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे पाए गए.
न्यायालय ने सभी सबूतों और गवाहियों पर विचार करने के बाद पाया कि दुष्कर्म के आरोप निराधार थे. नतीजतन, अन्य विशेष न्यायाधीश पॉक्सो श्रीकांत पाण्डेय ने सौतेले पिता को दुष्कर्म के आरोपों से बरी कर दिया. लगभग दो साल बाद जेल से रिहा हुए पिता के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत है।
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