
Up Kiran, Digital Desk: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता है, और 2050 तक हमारी बिजली की मांग तीन गुना बढ़ जाएगी. ऐसे में, हमें लगातार और भरोसेमंद बिजली की ज़रूरत है. भले ही आजकल सोलर और विंड एनर्जी (Renewables) की हर तरफ़ चर्चा हो, लेकिन सच तो यह है कि आज भी थर्मल पावर ही हमारी बिजली व्यवस्था की रीढ़ है. यही वह गुमनाम हीरो है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हमारे घरों की बत्तियाँ जलती रहें और देश का ग्रिड स्थिर रहे.
आँकड़े क्या कहते है :जून 2025 तक भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 476 GW थी, जिसमें से 240 GW, यानी लगभग आधा (50.52%), थर्मल पावर से आता है. चिंता की बात यह है कि जहाँ हमें 15.4 GW नई थर्मल क्षमता जोड़ने का लक्ष्य था, वहीं हम सिर्फ़ 4.53 GW ही जोड़ पाए.
इसका मतलब साफ़ है - हम जितनी तेज़ी से ग्रीन एनर्जी की तरफ़ बढ़ रहे हैं, उतनी तेज़ी से अपने इस भरोसेमंद स्रोत को मज़बूत नहीं कर रहे हैं. जैसे-जैसे बिजली की मांग बढ़ रही है, सिर्फ़ मौसम पर निर्भर रहने वाले ऊर्जा स्रोतों पर टिके रहना ख़तरनाक हो सकता है. इससे पीक आवर्स में बिजली की कमी और ग्रिड पर अनावश्यक दबाव का ख़तरा बढ़ जाएगा.
साफ़ शब्दों में कहें तो, ग्रीन एनर्जी भविष्य है, लेकिन इस भविष्य तक पहुँचने के लिए थर्मल पावर वह पुल है, जिसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता. इसे नज़रअंदाज़ करना देश को अँधेरे में धकेलने जैसा हो सकता है.
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