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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में एक छात्र की संदिग्ध मौत के मामले में सियासत और प्रशासन दोनों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के क्यूटी विधायक डॉ. मुरारी मोहन झा ने अपनी ही सरकार और पुलिस प्रशासन के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए अनशन शुरू कर दिया है। वह दरभंगा जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई छात्र जतिन की मौत की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं और पुलिस की लापरवाही को लेकर नाराज हैं।
यह पूरा मामला दरभंगा जिले के क्यूटी ब्लॉक स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय का है, जहां आठवीं कक्षा का छात्र जतिन 8 जुलाई को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया था। स्कूल प्रशासन ने इसे आत्महत्या करार दिया, मगर जतिन के परिवारवालों का कहना है कि यह हत्या है। परिवारवाले मामले की गहन जांच की मांग कर रहे हैं और पुलिस पर इसे दबाने का आरोप लगा रहे हैं।
पुलिस की लापरवाही और सीबीआई जांच की मांग
घटना के बाद से इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे परिवारवालों का गुस्सा और भी बढ़ गया। जतिन के पिता संतोष कुमार ने हत्या का मामला दर्ज कराया था, मगर एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया। इसके चलते 11 अगस्त से क्यूटी ब्लॉक मुख्यालय पर जतिन के परिजनों और गांववालों ने अनशन शुरू कर दिया। वे सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं ताकि मामले में न्याय मिल सके।
बिहार विधानसभा में भी क्यूटी विधायक डॉ. मुरारी मोहन झा ने सीबीआई जांच की मांग उठाई थी और इस मामले को गंभीरता से न लेने पर पुलिस प्रशासन की कड़ी आलोचना की। विधायक ने कहा कि "हमने एक बच्चा खो दिया है और पुलिस प्रशासन ने अभी तक पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना तक नहीं दी।"
परिवारवालों का सवाल
इस पूरे मामले में जतिन के पिता का बड़ा सवाल है कि अगर यह आत्महत्या थी, तो फिर इसका कारण क्या था? उन्होंने कहा, "अगर मान लिया जाए कि यह आत्महत्या थी, तो फिर सवाल उठता है कि क्यों कोई बच्चा आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ? किसने उसे इतना परेशान किया कि वह इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर हुआ?" परिवार का यह भी कहना है कि पुलिस ने अब तक दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है।
समाज और प्रशासन पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन के सामने भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या बच्चों की सुरक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर प्रशासन सख्त कदम उठा रहा है? क्या स्कूलों में हो रही ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया जा रहा है? इस घटना ने एक बार फिर से सवाल खड़ा किया है कि क्या पुलिस और प्रशासन बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं?
साथ ही, इस मामले ने यह भी दिखा दिया है कि जब परिवार और जनता के सवाल अनदेखे किए जाते हैं, तो ऐसे मामलों में आंदोलन और विरोध जरूरी हो जाता है। अब देखना यह होगा कि बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या उन्हें न्याय दिलाने के लिए सीबीआई जांच करानी पड़ेगी।
विधायक डॉ. मुरारी मोहन झा के अनशन से यह स्पष्ट है कि बिहार में बच्चों के अधिकारों को लेकर एक बड़ी चर्चा शुरू हो चुकी है, और यह घटना सिर्फ एक परिवार की दुखद कहानी नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है।
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