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Up Kiran, Digital Desk: महाराष्ट्र की राजनीति में 'मराठी मानुष' के मुद्दे पर अक्सर टकराव देखा जाता है। इसी कड़ी में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) पर एक तीखा पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने MNS को मुकेश अंबानी को मराठी में बोलने के लिए प्रेरित करने की चुनौती दी है। यह बयान भाजपा द्वारा MNS की 'मराठी कार्ड' खेलने की राजनीति पर सीधा हमला माना जा रहा है।

यह मामला तब सामने आया जब MNS ने किसी मुद्दे पर मराठी भाषा के उपयोग को लेकर अपनी पारंपरिक आक्रामक स्थिति अपनाई होगी। इसके जवाब में, भाजपा ने MNS को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उन्हें मराठी भाषा के प्रति इतनी चिंता है, तो उन्हें राज्य के सबसे प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी को मराठी में बात करने के लिए कहना चाहिए, यह जानते हुए कि अंबानी आमतौर पर सार्वजनिक मंचों पर हिंदी या अंग्रेजी में बोलते हैं।

भाजपा का यह बयान MNS पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाने जैसा है। भाजपा यह संकेत देना चाहती है कि MNS की मराठी भाषा की राजनीति केवल छोटे व्यापारियों या आम लोगों तक सीमित है, जबकि बड़े उद्योगपतियों या प्रभावशाली हस्तियों पर वे ऐसा दबाव नहीं बनाते। यह MNS की राजनीति की व्यावहारिकता और उसके दायरे पर सवाल उठाता है।

यह चुनौती महाराष्ट्र की राजनीति में 'भाषा' और 'पहचान' की राजनीति को लेकर चल रही बहस को और तेज करेगी। भाजपा का यह जवाब MNS को ऐसी परिस्थितियों में डाल सकता है जहां उसे अपने रुख का बचाव करना पड़े। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि MNS इस चुनौती का कैसे सामना करती है और क्या यह मुद्दा आगे और राजनीतिक तकरार का कारण बनता है।

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