उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव अभी ढाई साल दूर हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने मानो युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी हाईकमान ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को यूपी का चुनाव प्रभारी नियुक्त कर साफ संदेश दे दिया है कि इस बार कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। सूत्र बता रहे हैं कि गोयल अगले कुछ ही दिनों में लखनऊ पहुंच रहे हैं और जमीनी हकीकत का खुद जायजा लेंगे।
गोयल की एंट्री से कार्यकर्ताओं में जोश
दिल्ली से लेकर लखनऊ तक BJP दफ्तरों में इन दिनों एक ही नाम गूंज रहा है - पीयूष गोयल। गुजरात मूल के इस नेता को 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में शानदार रणनीति बनाने का श्रेय मिलता रहा है। कार्यकर्ता इसे बड़ा संकेत मान रहे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “गोयल सिर्फ कागजी प्लानिंग नहीं करते, वे बूथ लेवल तक उतरते हैं। यूपी में यही कमी पिछले कुछ चुनावों में खली थी।
दो-तीन दिन में आ सकता है नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम
सबड़ी खबर यह भी है कि BJP अगले 48 से 72 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश का नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर सकती है। मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल खत्म होने की ओर है और पार्टी इस बार ओबीसी समुदाय से बड़ा चेहरा लाने की पूरी तैयारी में है।
पार्टी के अंदरूनी गलियारों में जिन नामों की सबसे ज्यादा चर्चा है उनमें स्वतंत्र देव सिंह, दारा सिंह चौहान, बेबी रानी मौर्य और कुछ अन्य दिग्गज शामिल हैं। संदेश साफ है - 2022 में जिस ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगी थी उसे वापस लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
संगठन से लेकर उम्मीदवार चयन तक गोयल की नजर
पीयूष गोयल की जिम्मेदारी सिर्फ रणनीति बनाने तक सीमित नहीं रहेगी। वे प्रदेश में मंडल से लेकर बूथ स्तर तक संगठन की सेहत जांचेंगे। उम्मीदवारों के पैनल तैयार करना, पिछड़े और अति पिछड़े जिलों में विशेष फोकस, महिलाओं और युवाओं को जोड़ने का अभियान - सब कुछ उनकी निगरानी में होगा।
एक पदाधिकारी ने हंसते हुए कहा, “इस बार दिल्ली से कोई फरमान नहीं आएगा, दिल्ली खुद लखनऊ में डेरा डालेगी।”
2027 में फिर कमल खिलाने की पूरी प्लानिंग
BJP जानती है कि उत्तर प्रदेश वह चाबी है जो दिल्ली का रास्ता खोलती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 33 सीटों का नुकसान हुआ था और ज्यादातर नुकसान इसी राज्य से आया था। इसलिए 2027 को सिर्फ एक राज्य चुनाव नहीं बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
पार्टी के एक रणनीतिकार ने कहा, “हम 2022 दोहराना नहीं चाहते। इस बार जातीय समीकरण, विकास का नैरेटिव और संगठन की ताकत - तीनों मोर्चों पर एक साथ हमला होगा।”
फिलहाल तो पूरे उत्तर प्रदेश की नजर इस बात पर टिकी है कि नया प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा और पीयूष गोयल अपनी पहली मीटिंग में क्या बम फोड़ते हैं। खेल बड़ा होने वाला है और BJP ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
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