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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी और एनडीए के बीच नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। चुनाव आयोग ने भी निर्वाचन प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें 32 दिन के अंदर चुनाव मुकम्मल होना तय है।

अब तक चर्चा में सबसे आगे का नाम है—केंद्र में कृषि राज्य मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर। वे अति‑पिछड़े नाई समुदाय से आते हैं और जातीय समीकरण में बीजेपी द्वारा इस विकल्प पर ध्यान देने की संभावना जताई जा रही है  । खबरों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने खुद रामनाथ के घर जाकर मुलाकात की, जिससे कयास और तेज हुए हैं।

इसके अलावा अन्य दावेदारों में शामिल हैं:

जेपी नड्डा स्वयं — पार्टी इस पर भी विचार कर रही है; यदि चुने जाते हैं तो पहले मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है।

हरिवंश नारायण, राज्यसभा के उपसभापति — अनुभव और सरकार के भरोसे का नाम।

वसुंधरा राजे (पूर्व राजस्थान सीएम), मो. अरिफ खान (बिहार के राज्यपाल), मुक्तार अब्बास नकवी जैसे केंद्रीय नेता भी चर्चा में शामिल हैं।


कुछ बीजेपी नेताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संभावित उम्मीदवार के रूप में सुझाया, लेकिन उनके निवर्तमान राज्य की जवाबदेही के कारण इस पर तुरंत खंडन किया गया।

चुनाव संविधान के अनुच्छेद 67‑71 और उपराष्ट्रपति (चुनाव) नियम, 1974 की मर्यादाओं के तहत 60 दिन के भीतर आयोजित होना चाहिए — यानी 21 जुलाई के इस्तीफे के बाद 19 सितम्बर 2025 तक चुनाव होना अनिवार्य है  । एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में पर्याप्त बहुमत है (422 में से 788 सांसद) और उन्हें 394 वोटों की आवश्यकता होगी।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी इस बार वर्गीय विविधता और नियुक्तियों में संतुलन स्थापित करना चाहती है: चाहे वह जातिगत प्रतिनिधित्व (रामनाथ ठाकुर), संगठनात्मक ताकत (जेपी नड्डा), या संसदीय अनुभव (हरिवंश) हो। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन संकेतों को स्थानीय समीकरणों का प्रतिबिंब माना जा रहा है।
 

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