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राजस्थान विधानसभा के साथ कांग्रेस की नजर वर्ष 2014 के लोकसभा इलेक्शन पर है। यही वजह है कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करने के साथ लोकसभा इलेक्शन के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं। पर कांग्रेस के लिए लड़ाई आसान नहीं है। पिछले दो लोकसभा इलेक्शन में वह अपना खाता तक नहीं खोल पाई।

आगामी लोकसभा इलेक्शन में जीत दर्ज करने के लिए पार्टी को मत प्रतिशत बढ़ाना होगा। राज्य में लोकसभा की 50 सीट है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सरकार बनाने के बावजूद कांग्रेस 2019 लोकसभा इलेक्शन में एक भी सीट जीतने में विफल रही। इससे पहले 2014 में भी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी।

वहीं राजस्थान में 2014 और 2019 के लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी 50 % से अधिक वोट हासिल करने में सफल रही, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत करीब 35 % के आसपास रहा। वर्ष 2009 के चुनाव में पार्टी ने 47 % वोट के साथ 20 सीट पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में कांग्रेस के सामने जीत के लिए अपने वोट प्रतिशत में वृद्धि करना एक बड़ी चुनौती है।

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी कहा कि लोकसभा के पिछले दो चुनावों में परिस्थितियां अलग थी। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी को जनसमर्थन हासिल था। वहीं 2019 के चुनाव में पुलवामा के बाद स्थितियां बदल गई थी। मगर इस वक्त हालात अलग हैं। महंगाई और बेरोजगारी से लोग परेशान है।

ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि 2014 के चुनाव में उसके प्रदर्शन में काफी सुधार आएगा। यह भी सही है कि पिछले दो चुनावों पर विधानसभा चुनाव में हार जीत का कोई असर नहीं पड़ा था, मगर वर्ष 2009 और दो हज़ार चार के चुनाव में विधानसभा चुनाव का असर साफ दिखता है। वर्ष 2003 में वसुंधरा राजे सिंधिया ने जीत दर्ज की और वर्ष 2004 के चुनाव में बीजेपी को 21 सीट मिली।

इसी तरह 2008 में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने और 2009में कांग्रेस 20 सीटें जीतने में सफल रही। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि इस बार स्थितियां अलग हैं। इस बार राजस्थान में हर चुनाव में सरकार बदलने का रिवाज बदल सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ लोगों में कोई नाराजगी नहीं है। आम जनता सरकार की नीतियों को पसंद कर रही है। गहलोत और सचिन पायलट एकजुट हैं और दोनों मिलकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच रहे हैं। हालांकि इन सबके बावजूद पार्टी मानती है कि राह आसान नहीं है।

 

 

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