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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में इन दिनों एक बड़े मुद्दे को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज़ है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India - ECI) द्वारा जारी की गई नई मतदाता सूची (Voter List) के पुनरीक्षण (Revision) को लेकर ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

इन प्रदर्शनों में राजनीतिक दल और आम नागरिक दोनों शामिल हैं, जो आरोप लगा रहे हैं कि मतदाता सूची के संशोधन में गंभीर अनियमितताएं (irregularities) और लापरवाहियां (negligence) बरती गई हैं। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप यह है कि लाखों योग्य मतदाताओं (eligible voters) के नाम बिना किसी ठोस कारण के सूची से हटा दिए गए हैं, जबकि कई डुप्लिकेट (duplicate) या अयोग्य (ineligible) नाम अभी भी मौजूद हैं।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह लापरवाही केवल मानवीय त्रुटि नहीं है, बल्कि इससे आने वाले चुनावों में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उनका दावा है कि यह न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि लोगों के मौलिक मतदान अधिकार (fundamental right to vote) का भी उल्लंघन है।

विपक्षी दल इन कथित गड़बड़ियों को आगामी चुनावों में धांधली की कोशिश बता रहे हैं और उन्होंने चुनाव आयोग से तत्काल इन त्रुटियों को सुधारने और एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की मांग की है। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने चुनाव आयोग कार्यालयों के बाहर नारेबाज़ी की और ज्ञापन सौंपे।

चुनाव आयोग ने अभी तक इन आरोपों पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के बढ़ने के साथ उन पर दबाव बढ़ रहा है। यह मामला बिहार की चुनावी राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर रहा है और यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस गंभीर मुद्दे को कैसे सुलझाता है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर लोगों का विश्वास बना रहे।

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