Up kiran,Digital Desk : राजधानी दिल्ली के लोगों के लिए एक दिन की थोड़ी साफ हवा मिलना भी किसी त्योहार से कम नहीं होता। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिकती। बस एक दिन की राहत के बाद, मंगलवार की सुबह दिल्ली वालों की आंख एक बार फिर जहरीली धुंध और स्मॉग की चादर के साथ खुली। हवा में एक बार फिर वही भारीपन और घुटन लौट आई है, जिसने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है।
आंकड़े डरा रहे हैं, शहर का कोई कोना नहीं बचा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के जो ताजा आंकड़े आए हैं, वे वाकई चिंताजनक हैं। शहर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 के पार पहुंच गया है, जो 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी की शुरुआत है।
- आनंद विहार: 383
- गाजीपुर: 383
- अक्षरधाम: 383
- ITO: 331
- इंडिया गेट: 312
यह 'बहुत खराब' श्रेणी वाली हवा सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, यह हमारी सेहत पर सीधा हमला है। यह हवा बच्चों, बुजुर्गों और उन लोगों के लिए बेहद खतरनाक है, जिन्हें पहले से सांस से जुड़ी कोई बीमारी है।
इस बार विलेन सिर्फ एक नहीं है!
अक्सर हम प्रदूषण के लिए पराली को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन इस बार की कहानी थोड़ी अलग है। इस बार विलेन कई हैं, और सबसे बड़ा विलेन हमारे बहुत करीब है।
- सबसे बड़ा हिस्सा (करीब 20%): हमारी सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों का है।
- इसके बाद: फैक्ट्रियों, कूड़ा जलाने और कंस्ट्रक्शन से उड़ने वाली धूल का नंबर आता है।
यह साफ है कि अब हम सिर्फ दूसरों पर उंगली नहीं उठा सकते। यह प्रदूषण हमारा अपना पैदा किया हुआ है, जिसमें हम सब हर रोज सांस लेने को मजबूर हैं।
सिर्फ दिल्ली ही नहीं, पूरा NCR परेशान
- गाजियाबाद: सबसे प्रदूषित, AQI 322
- नोएडा: AQI 321
- गुरुग्राम: AQI 275
यह दिखाता है कि यह एक बड़ी समस्या है, जिसने पूरे इलाके को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। सांस के मरीजों के लिए यह समय किसी इमरजेंसी से कम नहीं है, और आम लोगों के लिए भी आंखों में जलन, गले में खराश और सिरदर्द की शिकायतें आम हो गई हैं।
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