Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली और एनसीआर के इलाके में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, और इससे न केवल बाहर की हवा, बल्कि घरों की हवा भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। प्रदूषण के खतरे से बचने के लिए लोग एयर प्यूरीफायर का सहारा ले रहे हैं, लेकिन क्या सभी प्यूरीफायर अपने काम में उतने प्रभावी हैं? यह सवाल हाल ही में लंग एक्सपर्ट डॉ. अरविंद के एक पॉडकास्ट में उठाया गया, जहाँ उन्होंने इस विषय पर कुछ महत्वपूर्ण सलाह दी।
एयर प्यूरीफायर का चयन – कमरे की स्थिति के अनुसार
हर घर में एक ही प्रकार के एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना सही नहीं है। डॉ. अरविंद के अनुसार, एयर प्यूरीफायर की प्रभावशीलता कमरे के आकार पर निर्भर करती है। यदि प्यूरीफायर का क्षमता कमरे के साइज से मेल नहीं खाता है, तो वह पूरी तरह से काम नहीं करेगा। इसलिए, कमरे के आकार के अनुसार प्यूरीफायर का चयन करना अत्यंत जरूरी है, ताकि वह हवा को पूरी तरह से शुद्ध कर सके।
ये टिप है बहुत कारगर
प्यूरीफायर को सही तरीके से काम करने के लिए कमरे को पूरी तरह से बंद करना जरूरी है। ठीक उसी तरह जैसे एयर कंडीशनर के लिए कमरे को सील किया जाता है, वैसे ही एयर प्यूरीफायर के लिए भी कमरे के खिड़कियां और दरवाजे बंद होने चाहिए। ऐसा करने से बाहर की प्रदूषित हवा भीतर नहीं आ पाएगी, और प्यूरीफायर बेहतर तरीके से अपनी कार्यक्षमता दिखा सकेगा।
एयर प्यूरीफायर केवल उस कमरे में प्रभावी रहेगा, जहाँ वह रखा गया है। इसका मतलब यह है कि जब तक आप उसी कमरे में हैं, तब तक ही आपको शुद्ध हवा का लाभ मिलेगा। इसके अलावा, प्यूरीफायर का असर समय के साथ कम होता जाता है, इसलिए उसके फिल्टर को नियमित रूप से साफ करना बेहद आवश्यक है। खासतौर पर, हीपा फिल्टर्स वाले प्यूरीफायर 3-4 महीने के बाद अपना असर खो सकते हैं, इसलिए उनकी सफाई और देखभाल जरूरी है।
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