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Up Kiran, Digital Desk: हर कोई चाहता है कि उसका पैसा बढ़े, लेकिन ज़्यादातर लोग निवेश की दुनिया में एक बहुत बड़ी और शुरुआती गलती कर देते हैं। वे यह तो देखते हैं कि कहाँ सबसे ज़्यादा रिटर्न मिल रहा है, पर यह देखना भूल जाते हैं कि क्या वे उस रिटर्न के साथ आने वाले उतार-चढ़ाव को झेल भी पाएंगे या नहीं।

निवेश की दुनिया में घुसने से पहले, सबसे ज़रूरी कदम है अपनी "रिस्क लेने की क्षमता" (Risk Tolerance) को समझना। यह जानना उतना ही ज़रूरी है, जितना गाड़ी चलाने से पहले यह जानना कि आप कितनी तेज़ रफ़्तार में गाड़ी को आराम से संभाल सकते हैं।

इस 'रिस्क' का मतलब क्या है?

सरल भाषा में, इसका मतलब है कि अगर बाज़ार में गिरावट आए और आपके निवेश की वैल्यू कम हो जाए, तो आप कितना घाटा आराम से बर्दाश्त कर सकते हैं, बिना अपनी रातों की नींद खराब किए। यह सिर्फ़ इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आपके पास कितना पैसा है, बल्कि यह आपकी हिम्मत और भावनाओं पर भी निर्भर करता है।

कैसे पता करें आपकी रिस्क क्षमता कितनी है?

यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है। खुद से कुछ आसान सवाल पूछकर आप इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं:

आपकी उम्र क्या है? (Age): एक सामान्य नियम है - अगर आप जवान हैं (20s-30s), तो आप ज़्यादा रिस्क ले सकते हैं क्योंकि अगर नुकसान हुआ भी तो आपके पास उसे रिकवर करने के लिए बहुत समय है। लेकिन अगर आप रिटायरमेंट के करीब हैं, तो आपको अपना पैसा सुरक्षित जगहों पर रखना चाहिए।

आपके लक्ष्य क्या हैं? (Goals): क्या आप अगले साल कार खरीदने के लिए पैसा जोड़ रहे हैं या 20 साल बाद बच्चे की शादी के लिए? छोटे लक्ष्य के लिए रिस्क नहीं लेना चाहिए (जैसे FD), लेकिन लंबे लक्ष्य के लिए आप ज़्यादा रिस्क वाले निवेश (जैसे शेयर बाज़ार) में पैसा लगा सकते हैं।

आपकी कमाई कितनी है? (Income): अगर आपकी नौकरी पक्की है और आमदनी अच्छी है, तो आप थोड़ा ज़्यादा जोखिम उठा सकते हैं। लेकिन अगर आपकी कमाई स्थिर नहीं है, तो सुरक्षा ही आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

आपकी हिम्मत कैसी है? (Personality): सबसे ज़रूरी सवाल। सोचिए, अगर आपका लगाया हुआ 1 लाख रुपया एक महीने में 80 हज़ार रह जाए, तो आप क्या करेंगे? घबराकर उसे बेच देंगे या यह सोचकर और पैसा लगाएंगे कि बाज़ार फिर ऊपर जाएगा? आपका जवाब ही आपकी असली रिस्क क्षमता बताएगा।

यह जानना इतना ज़रूरी क्यों है?जब आप अपनी रिस्क क्षमता को समझ जाते हैं, तो आप घबराहट में गलत फैसले लेने से बच जाते हैं। आप वही निवेश चुनते हैं जो आपकी शख्सियत से मेल खाता हो। जो लोग कम रिस्क ले सकते हैं, उनके लिए FD और बॉन्ड्स अच्छे होते हैं। वहीं, जो ज़्यादा रिस्क ले सकते हैं, वे शेयर बाज़ार या म्यूचुअल फ़ंड में ज़्यादा पैसा लगा सकते हैं।

निवेश एक मैराथन है, 100 मीटर की दौड़ नहीं। इसलिए, दूसरों की देखा-देखी करने के बजाय, पहले ख़ुद को पहचानें।