
चंडीगढ़। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राज्य में लागू लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस लेने का बड़ा फैसला लिया है। यह कदम किसानों, ज़मीन मालिकों और विपक्षी दलों के चौतरफा विरोध के बाद उठाया गया।
लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसानों और ज़मीन मालिकों की जमीन को विकास परियोजनाओं के लिए मिलाकर, बाद में उसमें से कुछ हिस्से को मालिकों को वापस देने का प्रावधान था। सरकार का दावा था कि इससे शहरी और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। हालांकि, किसानों का कहना था कि इस नीति से उनकी जमीन पर स्थायी कब्जे का खतरा है और उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलेगा।
पिछले कई हफ्तों से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में किसान संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को विधानसभा और सार्वजनिक मंचों पर जोर-शोर से उठाया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा करते हुए कहा कि उनकी सरकार जनता की आवाज़ सुनने वाली सरकार है, और किसी भी ऐसी नीति को लागू नहीं करेगी, जिससे जनता को नुकसान पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विकास के वैकल्पिक रास्तों पर काम करेगी, जिससे किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे।
किसान नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह आंदोलन की जीत है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में किसी भी नीति को लागू करने से पहले किसानों और ज़मीन मालिकों से राय ली जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सरकार और जनता के बीच भरोसे को बनाए रखने के लिए अहम है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां कृषि पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
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