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को-ऑपरेटिव बैंक भर्ती घपले मामले में सवा दो साल बाद आखिरकार एक्शन लिया गया। 156 कर्मचारियों की भर्ती पर उठे सवालों और कई जांचों के बाद आखिरी फैसला 12 कर्मचारियों की सेवाएं खत्म करने का लिया गया है।

रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव की तरफ से राजधानी दून, ऊधमसिंहनगर, और पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंकों को कार्रवाई सुनिश्चित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। सन् 2021 में फोर्थ क्लॉस के पदों पर शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया पहले ही दिन से विवादों में घिरी रही। बैंकों ने शासन स्तर से जारी भर्ती प्रक्रिया के मानकों में अपने स्तर पर निरंतर बदलाव किए, जिससे अफसरों और नेताओं द्वारा अपने चहेतों को भर्ती करने के आरोप लगे।

इन आरोपों के बीच, 2022 के विधानसभा इलेक्शनों की आचार संहिता के दौरान भर्ती की गई। रिजल्ट जारी होने के बाद, बैंकों को निर्देश दिया गया कि चयनित हुए कर्मचारियों को नियुक्ति न दें, मगर इसके बावजूद बैंकों ने नियुक्ति दी। 28 मार्च 2022 को कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश के बाद जांच शुरू हुई, जो अब अपने फैसले तक पहुंची है।

56 नियुक्तियों में से 12 लोगों की नियुक्ति को गलत पाया गया है, जिनके प्रमाण पत्र गलत निकले हैं। रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव आलोक पांडेय ने बताया कि जांच में सिर्फ 12 लोगों के प्रमाण पत्र गलत पाए गए हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश बैंकों को दिए गए हैं, और बैंकों के स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। इन्ही 12 लोगों की नौकरी जाएगी। 
 

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