_622017838.png)
Up Kiran, Digital Desk: मई का महीना आमतौर पर भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार उत्तराखंड के भीमताल, भवाली, और आस-पास के इलाकों में मौसम ने अचानक करवट ली। बुधवार को हुई तेज ओलावृष्टि ने जहां आम लोगों को चुभती गर्मी से राहत दी। वहीं दूसरी ओर यह राहत किसानों के लिए एक बड़ी आर्थिक आपदा बनकर आई। खेतों में लहलहाती फसलें और फलों के बागान अचानक बर्बादी की कगार पर आ गए।
बड़े-बड़े ओले और बर्बादी की तस्वीर
स्थानीय लोगों और काश्तकारों के अनुसार, ओलों का आकार 50 ग्राम से भी ज्यादा था। ये इतने भारी थे कि कारों के शीशे टूट गए, होमस्टे की छतों पर लगे सोलर पैनल और पॉलीहाउस तक में छेद हो गए। कई गांवों में दिन के उजाले में ही घना अंधेरा छा गया, जिससे वाहन चालकों को हेडलाइट्स जलाकर चलना पड़ा।
खेतों में पसरा सन्नाटा: आलू, टमाटर से लेकर प्लम तक बर्बाद
भीमताल, मेहरागांव, बेतालघाट, धानाचूली जैसे क्षेत्रों में ओलों की मार सबसे ज्यादा पड़ी। किसानों की सालभर की मेहनत — आलू, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, बीन, और खुबानी, प्लम, आड़ू जैसी फसलें चंद मिनटों में तबाह हो गईं। खेतों में खड़ी फसलें मटमैली मिट्टी में दब गईं और पेड़ों से गिरे अधपके फल बर्बादी की कहानी कह रहे थे।
चाय बागान भी नहीं बचे
भवाली और घोड़ाखाल के चाय बागानों में भी ओलावृष्टि का असर साफ देखा गया। बागान प्रबंधक नवीन चंद्र पांडे के अनुसार, चाय की हरी पत्तियों को लगभग 30-35% तक नुकसान हुआ है, जो सीधे तौर पर उत्पादन और बाजार मूल्य को प्रभावित करेगा।
दुकानदार भी हुए परेशान
केवल किसान ही नहीं बल्कि दुकानदारों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा। भीमताल ब्लॉक रोड और खैरना में जलभराव के चलते दुकानों में पानी घुस गया, जिससे दुकानदारों को वित्तीय नुकसान और ग्राहक कम होने की दोहरी मार झेलनी पड़ी।
--Advertisement--