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बिहार की सियासत में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जिससे कांग्रेस की रणनीतिक तैयारियों को झटका लगा है। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छह बार के विधायक अशोक राम ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। अब वे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पाले में आ गए हैं, जिससे राज्य की राजनीतिक तस्वीर में हलचल मच गई है।
अशोक राम, जो कि बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं, ने रविवार को पटना स्थित जदयू कार्यालय में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उन्हें जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा ने पार्टी में शामिल कराया, वहीं इस मौके पर कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
राजनीतिक गलियारों में यह कदम कांग्रेस के लिए एक बड़ा सिग्नल माना जा रहा है, खासतौर पर उस वक्त जब पार्टी राज्य में फिर से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। अशोक राम की नाराजगी केवल व्यक्तिगत उपेक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर गंभीर आरोप भी लगाए। उनका कहना है कि पार्टी अब उस विचारधारा से भटक चुकी है, जिसकी बुनियाद पंडित नेहरू और राजीव गांधी ने रखी थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लोकसभा चुनावों में उनकी पूरी तरह से अनदेखी की गई, जबकि टिकट ऐसे लोगों को दिया गया जो पार्टी से जुड़े नहीं थे। उनका मानना है कि यह न केवल राजनीतिक उपेक्षा थी बल्कि उनके लंबे राजनीतिक जीवन का अपमान भी। यही कारण रहा कि उन्होंने अब कांग्रेस को छोड़ने का मन बना लिया।
अशोक राम का यह भी दावा है कि आने वाले समय में कई अन्य वरिष्ठ नेता भी कांग्रेस को छोड़ सकते हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि पार्टी जमीनी हकीकत से कट चुकी है। जदयू में शामिल होने के बाद उन्होंने यह भी कहा कि लालू यादव की रणनीति कांग्रेस को हाशिए पर ले जाने में सफल रही है।
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