Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि जब सारी राजनीतिक पार्टियाँ एक साथ आ जाएँ, तो किसी सरकार को क्या कदम उठाना पड़ता है? कुछ ऐसा ही ज़बरदस्त नज़ारा आज आंध्र प्रदेश में देखने को मिला है. सभी विपक्षी दलों और विभिन्न जन संगठनों ने एक मंच पर आकर, सरकार से 'स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन' (SIR) प्रक्रिया को तुरंत रोकने की पुरज़ोर मांग की है. यह कोई साधारण विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि एक व्यापक गठबंधन है जो राज्य में एक बड़े राजनीतिक टकराव की ओर इशारा कर रहा है.
आखिर क्या है यह SIR प्रक्रिया और क्यों हो रहा है इतना विरोध?
'स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन' (SIR) का सीधा मतलब है कुछ ऐसे ख़ास इलाके, जिन्हें सरकार निवेश के लिए विकसित करना चाहती है. ये ज़मीनें आमतौर पर कृषि योग्य होती हैं, जिन्हें औद्योगिक या व्यापारिक उपयोग के लिए अधिग्रहित किया जाता है. आज जो सर्वदलीय गोलमेज बैठक हुई, उसमें मुख्य रूप से यही मुद्दा छाया रहा कि यह प्रक्रिया किस तरह से किसानों और स्थानीय समुदायों को प्रभावित कर रही है.
इस प्रक्रिया का इतना विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि आशंका है कि इसके तहत किसानों से उनकी उपजाऊ ज़मीनें छीनी जा सकती हैं, जिससे वे अपनी आजीविका खो देंगे. साथ ही, स्थानीय लोगों को लगता है कि इन विकास परियोजनाओं का फायदा बाहरी लोगों को ज़्यादा मिलेगा, जबकि उनके अपने अधिकारों और ज़रूरतों को अनदेखा किया जा रहा है. उनका आरोप है कि सरकार यह प्रक्रिया पारदर्शिता के बिना और किसानों की सहमति के बिना चला रही है.
सभी दल एकजुट: एक बड़ी चुनौती!
इस बैठक में बीजेपी, कांग्रेस, टीडीपी, सीपीआई (एम) और सीपीआई जैसी बड़ी पार्टियों सहित कई स्थानीय संगठन भी शामिल हुए. जब इतने सारे दल एक साथ आ जाते हैं, तो किसी भी सरकार के लिए उन्हें नज़रअंदाज़ करना बहुत मुश्किल हो जाता है. सभी दलों ने एक सुर में कहा कि जब तक सरकार स्थानीय लोगों की चिंताओं को दूर नहीं करती और पारदर्शिता नहीं लाती, तब तक SIR प्रक्रिया को तत्काल रोक दिया जाना चाहिए. यह राजनीतिक एकता दिखाती है कि यह मुद्दा कितना गंभीर है और जनता के बीच इसे लेकर कितनी बेचैनी है.
यह मांग सरकार पर एक बड़ा दबाव बनाने वाली है. अब देखना यह होगा कि क्या आंध्र प्रदेश सरकार जनता और विपक्षी दलों के इस एकजुट विरोध के आगे झुकती है, या अपनी परियोजनाओं पर आगे बढ़ती है. यह फैसला आंध्र प्रदेश के किसानों, स्थानीय लोगों और राज्य की राजनीति का भविष्य तय करेगा.



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