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Up Kiran, Digital Desk: अक्सर हम अपने घर की सजावट पर तो खूब ध्यान देते हैं, मगर एक ऐसी जगह है जो अनदेखी रह जाती है। यह है घर की चौखट, जिसे हम साधारण भाषा में देहलीज़ भी कहते हैं। वास्तु शास्त्र में इस देहलीज़ का महत्व किसी मंदिर के प्रवेश द्वार से कम नहीं माना गया है। यह सिर्फ़ ईंट और गारे से बनी एक सीमा रेखा नहीं है बल्कि यह वह मुख्य द्वार है जहाँ से आपके घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।

लक्ष्मी का वास और सम्मान का भाव

क्या आप जानते हैं कि घर की चौखट को साक्षात् मां लक्ष्मी से जोड़कर देखा जाता है? यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में इसपर पैर रखना अपशकुन माना जाता है। ज़रा सोचिए जब हम किसी मंदिर में प्रवेश करते हैं तो श्रद्धा से चौखट को छूकर आशीर्वाद लेते हैं, तो फिर अपने घर की चौखट का अनादर क्यों? इसे सिर्फ़ लकड़ी या पत्थर का टुकड़ा न समझें, यह एक पूजनीय स्थल है।

हमारे रीति रिवाज़ों में देहरी पूजन का विधान है। किसी भी शुभ कार्य या विवाह आदि में सबसे पहले इसी चौखट की पूजा की जाती है। इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखने से घर में केवल अच्छी ऊर्जा का प्रवाह होता है और मां लक्ष्मी स्वयं आपके द्वार पर ठहरती हैं।

चौखट लांघना क्यों है ज़रूरी

शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि हमें कभी भी चौखट पर पैर नहीं रखना चाहिए। बाहर निकलते समय या घर के अंदर आते समय इसे लांघकर निकलना ही उचित माना गया है। इसे लांघना चौखट के प्रति सम्मान दिखाने का एक तरीका है।

चौखट लगवाने के शुभ मुहूर्त

अगर आप नया घर बनवा रहे हैं तो यह सबसे ज़रूरी बात है। चौखट लगाते समय ज्योतिषीय सलाह लेना बहुत शुभ होता है। वास्तु के अनुसार चौखट लगवाने के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार सबसे अच्छे दिन माने गए हैं।

मगर तिथियों का ध्यान रखना और भी आवश्यक है। वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ तिथियाँ चौखट लगवाने के लिए अशुभ होती हैं, जैसे:

  • प्रतिपदा को दुख आ सकता है।
  • तृतीया में रोग का भय रहता है।
  • चतुर्थी में कुल का नाश हो सकता है।
  • षष्ठी में धन की हानि होने की संभावना रहती है।
  • दशमी, पूर्णिमा, और अमावस्या को शत्रु बढ़ सकते हैं।
  • इन तिथियों से बचकर चौखट लगाना घर की शांति के लिए बेहतर होता है।