
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती का इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक बड़ी खबर है। एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च (HSBC Global Research) ने एक अहम अनुमान जारी किया है, जिसके अनुसार आरबीआई इस साल दिसंबर में ब्याज दर में 25 आधार अंक (bps) की अंतिम कटौती कर सकता है। यह कटौती RBI के मौजूदा मौद्रिक नीति चक्र में आखिरी होगी, जिसके बाद केंद्रीय बैंक कुछ समय के लिए दरों को स्थिर रखेगा।
एचएसबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कटौती मुख्य रूप से भारत में कमजोर होती आर्थिक गतिविधियों और उम्मीद से बेहतर मुद्रास्फीति (Inflation) के आंकड़ों के कारण होगी। उनका विश्लेषण बताता है कि मुद्रास्फीति अब आरबीआई के सहिष्णुता बैंड (tolerance band) के मध्य में आ गई है, जो दरों में कटौती के लिए पर्याप्त जगह बनाती है।
एचएसबीसी का क्या है विश्लेषण?
एचएसबीसी का मानना है कि इस अंतिम कटौती के बाद, आरबीआई मौद्रिक नीति के अगले चरण पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें सरकारी बॉन्ड यील्ड में सुधार लाना और अर्थव्यवस्था में तरलता (liquidity) को बढ़ावा देना शामिल होगा। यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होगा जब वित्तीय वर्ष 2024 के लिए सरकार के उधार कार्यक्रम में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
गौरतलब है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल की बैठकों में रेपो दर को स्थिर रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने विकास को समर्थन देने के साथ-साथ मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के अपने रुख को बनाए रखा है। पिछली समीक्षा में, आरबीआई ने महंगाई को लक्षित सीमा के भीतर रखने के लिए आवश्यक होने पर 'कार्रवाई' करने का संकेत दिया था।
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च का यह अनुमान बाजार, व्यवसायों और आम जनता के लिए महत्वपूर्ण है। ब्याज दरों में कटौती का सीधा फायदा कर्जदारों को मिलता है, क्योंकि इससे उनकी मासिक किस्तें (EMI) कम हो सकती हैं। यह अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने और निवेश को प्रोत्साहित करने में भी मदद कर सकता है, जिससे समग्र आर्थिक विकास को गति मिल सकती है। अब सभी की निगाहें दिसंबर में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर टिकी होंगी।
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