
Up Kiran, Digital Desk: शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों से प्राइवेट बैंकों के शेयर कुछ खास अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। HDFC, ICICI और कोटक महिंद्रा जैसे भारत के टॉप प्राइवेट बैंकों की मार्केट वैल्यू में बड़ी गिरावट देखने को मिली है, जिससे निवेशकों को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है।
क्या होता है मार्केट कैप (MCap): सबसे पहले सरल भाषा में यह समझते हैं कि मार्केट कैप क्या है। किसी भी कंपनी के कुल शेयरों की जो बाजार में कीमत होती है, उसे ही मार्केट कैप कहते हैं। अगर किसी कंपनी का मार्केट कैप गिरता है, तो इसका मतलब है कि बाजार में उस कंपनी की वैल्यू कम हो गई है।
क्यों आई यह गिरावट: इस गिरावट के पीछे एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय वजह है - अमेरिका का टैरिफ।
क्या है यह टैरिफ? अमेरिकी सरकार ने भारत से आने वाले कुछ सामानों पर एक्स्ट्रा टैक्स (टैरिफ) लगा दिया है। इससे उन भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में अपना सामान बेचना महंगा हो गया है, जो वहां एक्सपोर्ट करती हैं।
बैंकों पर इसका क्या असर? जब इन एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को नुकसान होता है या उनका मुनाफा कम होता है, तो वे बैंकों से लिया हुआ कर्ज चुकाने में देरी कर सकती हैं या डिफॉल्ट कर सकती हैं। इससे बैंकों की कमाई पर सीधा असर पड़ता है और उनके NPA (डूबा हुआ कर्ज) बढ़ने का खतरा पैदा हो जाता है।
इसी डर की वजह से निवेशक प्राइवेट बैंकों के शेयरों को बेच रहे हैं, जिससे उनकी मार्केट वैल्यू यानी MCap गिर रही है।
किस बैंक को कितना नुकसान: दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत के टॉप पांच प्राइवेट बैंकों में से तीन के मार्केट कैप में कमी आई है।
HDFC बैंक, जो भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है, को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
ICICI बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक की मार्केट वैल्यू भी घटी है।
हालांकि, इंडसइंड बैंक और एक्सिस बैंक इस गिरावट से बचे रहे और उनके मार्केट कैप में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली।
बाजार के जानकारों का मानना है कि जब तक अमेरिका और भारत के बीच व्यापार को लेकर यह अनिश्चितता बनी रहेगी, तब तक प्राइवेट बैंकों के शेयरों पर दबाव देखने को मिल सकता है। अगर आप भी इन बैंकों में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो बाजार के हालात पर नजर बनाए रखें।