Up Kiran, Digital Desk: ठंड का मौसम अपने साथ गर्माहट की चाह और खान-पान का मज़ा तो लाता है लेकिन कई बार यह हमारी सेहत पर भारी पड़ जाता है। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की समस्या है, उनके लिए तो सर्दियों का मतलब है अतिरिक्त सावधानी। शोध बताते हैं कि जैसे-जैसे पारा गिरता है हमारा रक्तचाप भी बढ़ने लगता है। लेकिन सवाल यह है कि ऐसा होता क्यों है? और इस जोखिम से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
क्या है उच्च रक्तचाप और ठंड का रिश्ता
रक्तचाप या 'ब्लड प्रेशर' उस बल को कहते हैं जो रक्त प्रवाह के दौरान हमारी धमनियों की दीवारों पर पड़ता है। इसे दो अंकों में मापा जाता है: सिस्टोलिक (जब हृदय धड़कता है) और डायस्टोलिक (धड़कनों के बीच आराम की स्थिति)। अगर यह दबाव लगातार 140/90 mmHg से ऊपर बना रहता है तो इसे 'हाई ब्लड प्रेशर' कहा जाता है, जो हमारे दिल और रक्त वाहिकाओं के लिए खतरे की घंटी है।
रक्तचाप कोई स्थिर चीज़ नहीं है। यह हमारे खान-पान, जीवनशैली और बाहरी वातावरण यानी मौसम के हिसाब से बदलता रहता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ठंड के महीनों में सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों ही रीडिंग ऊपर चली जाती हैं।
तापमान गिरने से क्यों बढ़ता है दबाव?
ठंड में रक्तचाप बढ़ने के पीछे एक सीधा और प्राकृतिक कारण है। हमारा शरीर होशियार है और वह खुद को गर्म रखने के लिए एक सुरक्षा तंत्र अपनाता है।
सिकुड़ती हैं रक्त नलिकाएँ: ठंड के संपर्क में आते ही शरीर अपनी गर्मी को बचाने के लिए रक्त नलिकाओं (ब्लड वेसल्स) को सिकोड़ना शुरू कर देता है। इसे वासोकंस्ट्रिक्शन कहते हैं।
दिल पर पड़ता है ज़ोर: जब नलिकाएँ संकरी हो जाती हैं तो रक्त को पूरे शरीर में भेजने के लिए दिल को ज़्यादा ताक़त लगानी पड़ती है। इस अतिरिक्त मेहनत के कारण ही रक्तचाप बढ़ जाता है।
तनाव वाले हार्मोन का स्राव: इतना ही नहीं, ठंडा तापमान शरीर के तनाव प्रतिक्रिया मोड को भी सक्रिय कर देता है। इससे एड्रेनलिन और नॉरएड्रेनलिन जैसे हार्मोन का तेज़ी से स्राव होता है, जो दिल की धड़कन और दबाव दोनों को बढ़ा देते हैं।
शीत ऋतु में रक्तचाप नियंत्रण के आसान नुस्खे
खुशी की बात यह है कि इस समस्या से बचाव के तरीके बहुत मुश्किल नहीं हैं। रसोई और हमारी जीवनशैली में छोटे-से बदलाव करके हम अपने रक्तचाप को सुरक्षित दायरे में बनाए रख सकते हैं।
प्राकृतिक आहार को प्राथमिकता दें: अपनी डाइट में लहसुन मेथी और अलसी (फ्लैक्ससीड) को नियमित रूप से शामिल करें। ये चीज़ें नसों को आराम देती हैं और रक्त संचार को बेहतर बनाती हैं।
गर्म पेय का सहारा: सुबह की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से करें। इसके अलावा अदरक और तुलसी की चाय भी रक्त के प्रवाह को सुधारने में बहुत कारगर है।
नमक पर नियंत्रण और सक्रियता: खाने में नमक की मात्रा कम रखें। साथ ही ठंडी सुबह में भी आलस छोड़कर हल्की-फुल्की कसरत या योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ।

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