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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की धरती पर महिला सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी जा रही है जहां आत्मनिर्भरता अब केवल सपना नहीं बल्कि हकीकत बन चुकी है। इसी कड़ी में पटना के ऐतिहासिक अधिवेशन भवन में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका केंद्र बिंदु था जीविका से जुड़ी महिलाओं की उपलब्धियां और भविष्य की योजनाएं।
जीविका: आत्मनिर्भरता की मिसाल
इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह और सांसद ललन सिंह सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के अधिकारियों के साथ-साथ जीविका से जुड़ी सैकड़ों महिलाओं जिन्हें ‘दीदी’ के नाम से जाना जाता है की भी भागीदारी रही।
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि बिहार में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार ने अब तक 11 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित किए हैं। इन समूहों के माध्यम से महिलाएं न केवल छोटे व्यवसाय कर रही हैं, बल्कि अब उनके जीवन में स्थिर आय का संबल भी आ चुका है।
तीन लाख महिलाएं बनीं 'लखपति दीदी'
सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि बिहार में जीविका से जुड़ी तीन लाख से अधिक महिलाएं अब ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैंयानी वे महिलाएं जिन्होंने स्वयं सहायता समूहों के जरिए सालाना एक लाख रुपये या उससे अधिक की आय अर्जित की है। यह उपलब्धि न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाला कदम भी है।
जीविका दीदियों के लिए अलग बैंक की योजना
मंत्री श्रवण कुमार ने इस अवसर पर भविष्य की योजनाओं की झलक भी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अब जीविका दीदियों को और आगे बढ़ाने के लिए विशेष वित्तीय ढांचा तैयार कर रही है। जल्द ही इन महिलाओं के लिए एक अलग बैंक खोला जाएगा, जहां उन्हें उनके व्यवसाय, बचत और ऋण संबंधी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। यह बैंकिंग सुविधा खास तौर पर जीविका समूह की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएगी।
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