
पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। पटना की एक विशेष अदालत ने शनिवार को लालू यादव के खिलाफ चल रहे एक पुराने मामले में कुर्की (संपत्ति जब्ती) की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है।
यह आदेश चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आया है, जिसमें लालू यादव के बार-बार कोर्ट में पेश न होने के चलते न्यायालय ने यह सख्त कदम उठाया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी की अनुपस्थिति के कारण न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है, इसलिए अब उनकी संपत्ति कुर्क कर न्यायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह मामला उन मामलों में से एक है जो लालू यादव के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। हाल के महीनों में उनकी तबीयत को देखते हुए वे कई बार सुनवाई से अनुपस्थित रहे, लेकिन कोर्ट ने यह माना कि उनका बार-बार पेश न होना न्यायिक आदेश की अवहेलना है।
अदालत के इस आदेश के बाद ईडी और संबंधित प्रशासनिक एजेंसियां कुर्की की प्रक्रिया को जल्द शुरू कर सकती हैं। इससे पहले भी चारा घोटाले के कई मामलों में लालू यादव को सजा मिल चुकी है और वे लंबे समय तक रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद रहे थे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। भाजपा नेताओं ने कोर्ट के आदेश को ‘न्याय की जीत’ बताया है, जबकि राजद की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई "राजनीतिक प्रतिशोध" का हिस्सा हो सकती है।
लालू यादव पहले ही कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं और दिल्ली में इलाजरत हैं। अब देखना होगा कि कानूनी टीम इस आदेश के खिलाफ क्या रणनीति अपनाती है। मगर इतना तय है कि यह फैसला न केवल कानूनी रूप से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी असर डाल सकता है — खासकर आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले।
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