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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है, लेकिन जनता की ज़रूरतों और मुद्दों से ज़्यादा चर्चा एनडीए के भीतर सीटों को लेकर चल रही खींचतान की हो रही है। गठबंधन के बड़े नेताओं की मुलाकातों का सिलसिला जारी है, मगर तस्वीर अब तक साफ नहीं हो पाई है। ऐसे में मतदाताओं में असमंजस बना हुआ है कि किस पार्टी से कौन उम्मीदवार आएगा और वो जनता की आवाज़ बनेगा भी या नहीं।

30 सीटें चाहिए चिराग को, मांझी 15 से कम पर नहीं मानेंगे!

मंगलवार को दिल्ली में लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और राज्य मंत्री मंगल पांडे ने मुलाकात की। लगभग 45 मिनट चली इस बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर गहन बातचीत हुई। चिराग पासवान जहां 30 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं, वहीं जीतनराम मांझी भी 15 सीटों से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं। मांझी पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई, तो उनकी पार्टी अकेले ही 100 सीटों पर लड़ने का विकल्प खुला रखेगी।

भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं, सभी सहयोगियों को साधना बड़ी चुनौती

भाजपा पर अब यह दबाव है कि वह अपने सभी सहयोगियों को एक मंच पर एकजुट रखे। रविवार को भी इसी मकसद से भाजपा नेताओं ने जदयू के ललन सिंह, हम पार्टी के मांझी और रालोसोपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से बातचीत की थी। लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे की घोषणा नहीं हुई है।

जदयू में भी चली रणनीति की बैठकों की लंबी फेहरिस्त

इसी बीच, मंगलवार को जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने सीएम आवास पहुंचे। जदयू के वरिष्ठ नेताओं के साथ टिकट बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन पर लंबी बैठक चली। जदयू कोटे की सीटों को लेकर मंथन जारी है। बैठक के बाद संजय झा ने मीडिया से कहा, "एनडीए पूरी तरह एकजुट है और बहुत जल्द सीटों का ऐलान होगा।"