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Up Kiran, Digital Desk: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और पूर्व सांसद धर्मेंद्र का आज निधन हो गया। उनके जाने से सबसे ज्यादा उदासी बीकानेर में है। वो शहर जिसने उन्हें कभी गुस्से में “गुमशुदा” घोषित कर दिया था और बाद में उसी शहर ने उन्हें दिल से अपना बना लिया।

जब पोस्टरों ने हिला दिया था स्टार को

2004 में जब धर्मेंद्र भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बीकानेर से सांसद बने तो शुरुआत में उनका इलाके में दिखना मुश्किल हो गया। काम की व्यस्तता और मुंबई की जिंदगी ने उन्हें कम ही मौका दिया। नाराज जनता ने सड़कों पर पोस्टर चिपका दिए – “हमारा सांसद गुमशुदा है।” ये पोस्टर पूरे देश में वायरल हो गए। धर्मेंद्र को लगा जैसे कोई तीर दिल के आर-पार चला गया। उन्होंने फौरन बीकानेर का टिकट कटवाया और पहुंच गए। जनता से मिले। गले लगे। कहा – “मैं आपकी सेवा में हाजिर हूं।”

हिटलर वाला बयान और फिर माफी

राजनीति में कभी-कभी एक गलत वाक्य पूरी छवि बदल देता है। धर्मेंद्र के साथ भी ऐसा हुआ। एक सभा में उन्होंने हिटलर के शासन की कुछ बातें सराह लीं। बवाल मच गया। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया। बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनके कहने का मतलब वो नहीं था। लेकिन उस एक बयान ने उन्हें लंबे समय तक विवादों में घेर रखा।

“रामेश्वर डूडी मेरे छोटे भाई जैसे हैं”

चुनाव में उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज रामेश्वर डूडी से था। जहां दूसरी पार्टियां एक-दूसरे पर कीचड़ उछालती हैं वहां धर्मेंद्र मैदान में उतरे तो सिर्फ मुस्कान और सम्मान बांटते रहे। मंच से बार-बार कहते – “डूडी साहब मेरे छोटे भाई जैसे हैं।” इस वाक्य ने बीकानेर की राजनीति को एक नया रंग दे दिया।

सूरसागर झील और सांसद कोटे का पूरा इस्तेमाल

धर्मेंद्र ने सांसद रहते हुए सूरसागर झील की सफाई और सुंदरीकरण के लिए दिन-रात एक कर दिया। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लेकर केंद्र तक दौड़ लगाई। बजट पास करवाया। बाद में श्रेय राजे को मिला लेकिन बीकानेर की जनता जानती है कि पहल किसकी थी। सांसद कोटे की आखिरी रुपया तक उन्होंने इलाके पर खर्च की। आज भी कई स्कूल अस्पताल और सामुदायिक भवनों पर उनका नाम लिखा दिख जाता है।

एक फैन ने बना दिया मंदिर

बीकानेर में उनके चाहने वालों की कमी नहीं थी। एक युवक ने तो उनके नाम का मंदिर ही बना डाला। उसी फैन ने बाद में अपना फोटो स्टूडियो “धर्मेंद्र स्टूडियो” नाम से खोला। हर साल अमरसिंहपुरा में उनका जन्मदिन आज भी केक और पटाखों के साथ मनाया जाता है।