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Up Kiran, Digital Desk: बेंगलुरु शहर में यातायात की समस्या किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में बाइक टैक्सी एक सस्ता और तेज़ विकल्प बनकर उभरी थीं, लेकिन फिर सरकार ने इन पर रोक लगा दी। अब एक बार फिर Rapido और Uber जैसी कंपनियाँ एक नए तरीक़े से मैदान में लौट आई हैं – 'बाइक डायरेक्ट' सेवा के साथ। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सरकार के नियमों का सीधा उल्लंघन है, या कंपनियों ने कोई नया रास्ता निकाल लिया है?

पुराना विवाद: क्यों लगा था प्रतिबंध?

कर्नाटक सरकार और परिवहन विभाग ने ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं (जैसे Uber Moto और Rapido) पर पहले इसलिए रोक लगाई थी, क्योंकि उनके संचालन के लिए कोई स्पष्ट नीति या कानूनी ढाँचा नहीं था। सुरक्षा, राइडर और ग्राहक के लिए बीमा, किराए का विनियमन और लाइसेंसिंग जैसे कई सवाल अनुत्तरित थे। सरकार को चिंता थी कि ये सेवाएँ बिना किसी नियम के चल रही हैं, जिससे दुर्घटना या शोषण होने पर किसी की जवाबदेही नहीं थी।

Rapido और Uber का 'बाइक डायरेक्ट' दाँव क्या है?

अब जबकि पुराने नियम और प्रतिबंध लागू हैं, Rapido ने 'Rapido बाइक डायरेक्ट' और Uber ने 'Uber बाइक डायरेक्ट' जैसी सेवाएँ शुरू की हैं। ये सेवाएँ कुछ इस तरह काम करती हैं कि ग्राहक सीधा बाइक राइडर से जुड़ सकते हैं। कंपनियाँ यहाँ खुद को सिर्फ़ एक 'प्लेटफॉर्म' या 'बिचौलिया' बता रही हैं, जो ग्राहकों और राइडर्स को आपस में जोड़ने का काम करते हैं, न कि सीधे तौर पर 'बाइक टैक्सी एग्रीगेटर' के रूप में सेवाएँ दे रही हैं, जिस पर प्रतिबंध था। यह एक तरह का कानूनी loophole ढूंढने जैसा लगता है।

Rapido बाइक डायरेक्ट: इसमें ग्राहक राइडर से सीधे किराए और यात्रा के बारे में बातचीत कर सकता है।

Uber बाइक डायरेक्ट: इसी तरह, Uber भी इसी मॉडल पर काम करने की कोशिश कर रहा है, जहाँ सीधे ग्राहक और ड्राइवर के बीच लेन-देन हो।

सरकार की चुप्पी, आगे क्या होगा?

इस नई 'बाइक डायरेक्ट' पहल पर फ़िलहाल कर्नाटक परिवहन विभाग या सरकार की तरफ़ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इसे पुराने नियमों का उल्लंघन मानती है या एक नया कानूनी मॉडल, जिसे आगे चलकर विनियमित किया जा सकता है।

फिलहाल, इस सेवा से ग्राहकों और राइडर्स, दोनों को फायदा मिल रहा है, लेकिन भविष्य में इसकी कानूनी वैधता पर सवाल उठ सकते हैं। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर स्पष्ट नीति लेकर आएगी, ताकि दोनों तरफ़ के हित साधे जा सकें – ग्राहकों को सुविधा और राइडर्स को रोज़गार, साथ ही यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।