
Up Kiran, Digital Desk: मधुमेह (डायबिटीज) आज एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है, और इसका प्रबंधन काफी हद तक हमारे आहार पर निर्भर करता है। विशेष रूप से, हम जो आटे का सेवन करते हैं, उसका हमारे रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सफेद आटे (मैदा) और कुछ पारंपरिक आटों में कार्बोहाइड्रेट अधिक होता है, जिससे ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है। लेकिन चिंता न करें, कुछ बेहतरीन विकल्प भी उपलब्ध हैं जो मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
सही आटे का चुनाव ब्लड शुगर को स्थिर रखने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ कुछ ऐसे आटों के बारे में बताया गया है जो मधुमेह रोगियों के लिए उत्कृष्ट विकल्प हो सकते हैं:
बादाम का आटा (Almond Flour):
बादाम का आटा एक बेहतरीन लस-मुक्त (ग्लूटेन-फ्री) विकल्प है जिसमें कार्बोहाइड्रेट कम, प्रोटीन अधिक और स्वस्थ वसा भरपूर मात्रा में होती है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) भी कम होता है, जिसका अर्थ है कि यह रक्त शर्करा के स्तर पर न्यूनतम प्रभाव डालता है। इसमें फाइबर भी होता है जो पाचन को धीमा करने और ब्लड शुगर को अचानक बढ़ने से रोकने में मदद करता है। आप इसे बेकिंग में, पैनकेक बनाने में या रोटी/चपाती के लिए अन्य आटों के साथ मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।
जौ का आटा (Barley Flour):
जौ का आटा घुलनशील फाइबर से भरपूर होता है, खासकर बीटा-ग्लूकन। यह फाइबर पाचन को धीमा करता है और ग्लूकोज के अवशोषण को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे ब्लड शुगर में अचानक वृद्धि नहीं होती। जौ का आटा हृदय स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है। आप इसका उपयोग रोटी, दलिया या सूप में गाढ़ापन लाने के लिए कर सकते हैं।
बेसन / चने का आटा (Chickpea Flour - Besan):
बेसन, जो चना दाल से बनता है, भारतीय रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। प्रोटीन और फाइबर का संयोजन रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है। बेसन से चीला, ढोकला या पारंपरिक भारतीय रोटी बनाई जा सकती है।
ओट्स का आटा (Oat Flour):
ओट्स का आटा भी घुलनशील फाइबर, विशेष रूप से बीटा-ग्लूकन का एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह फाइबर रक्त शर्करा नियंत्रण में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है। ओट्स का आटा बेकिंग, स्मूदी या दलिया बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अनावश्यक खाने से बचा जा सकता है।
नारियल का आटा (Coconut Flour):
नारियल का आटा एक और लस-मुक्त और कम कार्बोहाइड्रेट वाला विकल्प है, जिसमें फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है और यह पचने में धीमा होता है, जिससे ब्लड शुगर में तेजी से वृद्धि नहीं होती। यह बेकिंग में या कुछ व्यंजनों को गाढ़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह अधिक तरल अवशोषित करता है, इसलिए इसका उपयोग सावधानी से करें।
--Advertisement--