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पहाड़ी जिले उत्तरकाशी की टनल में फंसे 41 मजदूर अब सुरक्षित बाहर आ गए हैं। उनका परिवार बीते 17 दिनों से इन मजदूरों के आने का इंतजार कर रहा था। 17 दिनों के निरंतर कोशिश के बाद बीते कल को इन मजदूरों को रिहा किया गया तो सभी खुश थे। मगर इन 41 मजदूरों में से एक मजदूर ऐसा भी था जिसके बाहर आने के बाद उसके पिता का साया खो गया। इस मजदूर का नाम भटकु मुर्मू है। वह झारखंड के सिंहभूम जिले के निवासी थे।

मंगलवार 28 नवंबर की रात जब भटकू सिल्कयारा सुरंग से सुरक्षित बाहर आया तो उसके पिता की मौत की खबर उसके कानों तक पहुंची। भटकू धाय अपने पिता की मृत्यु पर फूट-फूट कर रोने लगा। बीते 17 दिनों से वह सुरंग में फंसा हुआ था और उसने सोचा कि जब मैं बाहर आऊंगा तो अपने परिवार से मिलूंगा और अपने पिता को देखूंगा। मगर नियति के सामने कुछ और ही योजना थी। सुरंग में भट्टकू के अलावा सिंहभूम जिले के डुमरिया के 6 अन्य मजदूर भी थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 साल का भटकू सिंहभूम के बंकिशिल तालुका के बहदा गांव का रहने वाला था। उनके 70 वर्षीय पिता बरसा मुर्मू गांव में थे। जब से उन्हें एहसास हुआ कि लड़का सुरंग में फंस गया है, वे चिंतित थे। कल सवेरे नाश्ता करने के बाद वे बिस्तर पर बच्चे के सकुशल लौटने का इंतजार कर रहे थे, तभी अचानक वह बिस्तर से गिर गिए और उनकी जान चली गयी। ग्रामीणों का कहना है कि बरसा मुर्मू ने अपने बेटे की याद ने उनकी जान ले ली। बारसा मुर्मू के दामाद ने बताया कि जब से बच्चा सुरंग में फंसा है तब से पिता हताश और चिंतित थे।
 

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