Up Kiran, Digital Desk: FICCI ड्रोन महोत्सव में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ड्रोन भले ही युद्ध जीतने का अकेला समाधान न हों, लेकिन वे निश्चित रूप से सामरिक संतुलन को बदलने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने ड्रोन को 'फोर्स मल्टीप्लायर' (बल वर्धक) बताया, जो युद्ध में हमारी क्षमता को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
जनरल चौहान ने FICCI ड्रोन महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि आज ड्रोन का उपयोग युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। इनमें खुफिया जानकारी जुटाना (इंटेलिजेंस), निगरानी (सर्विलांस) और टोही अभियान (रिकॉनसेंस) शामिल हैं। इसके अलावा, लॉजिस्टिक्स (रसद), लक्ष्य भेदना (टारगेट एक्विजिशन) और सीधे हमले करने की क्षमता (स्ट्राइकिंग कैपेबिलिटीज) में भी ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने यूक्रेन युद्ध से मिले सबक पर जोर दिया, जहाँ ड्रोन ने अपनी बहुमुखी भूमिकाओं में प्रभावशीलता साबित की है। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए मजबूत एंटी-ड्रोन सिस्टम (ड्रोन रोधी प्रणाली) की अनिवार्यता पर भी प्रकाश डाला। यह दिखाता है कि सिर्फ ड्रोन बनाना ही नहीं, उनसे बचाव करना भी उतना ही ज़रूरी है।
जनरल चौहान ने तकनीकी प्रगति के साथ-साथ मानवीय नियंत्रण में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने कहा कि ड्रोन के उपयोग में नैतिक विचारों को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर जब ड्रोन की स्वायत्तता बढ़ती जा रही हो। उन्होंने रोबोटिक्स के उपयोग सहित भविष्य के युद्ध की भी बात की।
सीडीएस ने पारंपरिक हथियारों की तुलना में ड्रोन की लागत-प्रभावशीलता पर भी बात की। उन्होंने ड्रोन प्रौद्योगिकी में स्वदेशीकरण के महत्व पर जोर दिया, ताकि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर हमारी निर्भरता कम हो सके और हम आत्मनिर्भर बन सकें।
उन्होंने अत्याधुनिक ड्रोन समाधान विकसित करने में भारतीय निजी क्षेत्र की सक्रिय भूमिका की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया, यह दर्शाता है कि यह सिर्फ सरकार का काम नहीं, बल्कि पूरे देश का सामूहिक प्रयास है।
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