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Up Kiran, Digital Desk: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मोटापा एक आम समस्या बन गया है। हम सब जानते हैं कि बढ़ता वजन दिल की बीमारियों, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को न्योता देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके पेट पर जमा हो रही चर्बी का सीधा असर आपकी याददाश्त और दिमाग पर भी पड़ सकता है?

हाल ही में हुई एक नई स्टडी ने मोटापे और अल्जाइमर रोग के बीच एक बहुत ही चिंताजनक और गहरा संबंध उजागर किया है, खासकर पेट के अंदरूनी अंगों के आसपास जमा होने वाली चर्बी, जिसे 'विसरल फैट' (visceral fat) कहते हैं।

यह सिर्फ बाहरी चर्बी नहीं, दिमाग का दुश्मन है

यह स्टडी एजिंग एंड डिजीज नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है और इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। वैज्ञानिकों ने 40 से 60 साल की उम्र के लोगों पर यह अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जिन लोगों के पेट के अंदरूनी हिस्से में यह 'विसरल फैट' ज्यादा था, उनके दिमाग में अल्जाइमर से जुड़े कुछ खतरनाक बदलाव देखने को मिले।

इन बदलावों में शामिल हैं:

पुरुषों के लिए खतरा ज्यादा: अध्ययन में एक और दिलचस्प बात सामने आई। शोधकर्ताओं ने पाया कि पेट की चर्बी और दिमागी सेहत के बीच का यह खतरनाक कनेक्शन पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत था। इसका मतलब है कि जिन पुरुषों की तोंद निकली हुई है, उन्हें अल्जाइमर के खतरे को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

घबराने की नहीं, संभलने की जरूरत है

यह स्टडी हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि सचेत करने के लिए है। अच्छी खबर यह है कि 'विसरल फैट' को जीवनशैली में कुछ साधारण बदलाव करके कम किया जा सकता है। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम नियंत्रित नहीं कर सकते।

यह साफ है कि मोटापा सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारे दिमाग के लिए भी एक बड़ा खतरा है। अपने शरीर का ध्यान रखकर हम न केवल अपनी कमर को पतला रख सकते हैं, बल्कि अपनी सबसे कीमती संपत्ति, यानी अपनी याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता को भी लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।