छठ पूजा, यानी भक्ति, आस्था और कठिन तपस्या का महापर्व। इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे का लंबा निर्जला व्रत रखती हैं, जो अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या गर्भवती महिलाओं के लिए यह कठोर व्रत रखना सुरक्षित है? अगर आपकी भी यही दुविधा है, तो आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं।
डॉक्टर की सलाह सबसे जरूरी
सबसे पहली और सबसे जरूरी बात, अगर आप गर्भवती हैं और छठ का व्रत रखना चाहती हैं, तो अपनी डॉक्टर से सलाह जरूर लें। डॉक्टर ही आपकी सेहत और आपकी गर्भावस्था की स्थिति को देखकर सही सलाह दे सकते हैं कि आपको व्रत रखना चाहिए या नहीं। हर महिला की प्रेग्नेंसी अलग होती है, इसलिए किसी और की देखा-देखी कोई भी फैसला न लें।
क्या निर्जला व्रत रखना है सुरक्षित: डॉक्टरों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान 36 घंटे तक भूखे-प्यासे रहना माँ और होने वाले बच्चे, दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) और पोषक तत्वों की कमी का सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ सकता है। इससे कमजोरी, चक्कर आना या बेहोशी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
अगर आस्था है, तो ये रास्ते अपनाएं
मन में छठी मैया के प्रति श्रद्धा है और व्रत भी करना चाहती हैं, तो आप कुछ बदलावों के साथ पूजा कर सकती हैं।
पूजा-पाठ में हों शामिल: अगर आपकी स्थिति व्रत रखने की अनुमति नहीं दे रही है, तो मन छोटा न करें। आप केवल पूजा करें, अर्घ्य दें और कथा सुनें।छठी मैया भाव की भूखी होती हैं, आपकी सच्ची श्रद्धा ही काफी है।
आराम का रखें ध्यान: पूजा की तैयारियों में बहुत ज्यादा दौड़-भाग न करें। लंबे समय तक खड़े रहने से बचें। अपने परिवार वालों की मदद लें और जितना हो सके आराम करें।
याद रखें, आपकी और आपके आने वाले बच्चे की सेहत से बढ़कर कुछ भी नहीं है। छठ पर्व परिवार की खुशहाली के लिए ही किया जाता है, इसलिए कोई भी ऐसा कदम न उठाएं जिससे आपकी सेहत पर कोई आंच आए।
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