
Up Kiran, Digital Desk: अगर आप बेंगलुरु में रहते हैं या कभी वहां गए हैं, तो घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहना आपके लिए कोई नई बात नहीं होगी। इस शहर की सबसे बड़ी परेशानियों में से एक यहां का ट्रैफिक जाम है। लेकिन अब कर्नाटक सरकार इस समस्या से निपटने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाने जा रही है। शहर की सड़कों के नीचे एक सुरंग वाली सड़क (टनल रोड) बनाने की तैयारी चल रही है। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का कहना है कि यह प्रोजेक्ट बेंगलुरु के लिए बहुत ज़रूरी है और ट्रैफिक की समस्या का एकमात्र समाधान है।
यह प्रोजेक्ट हेब्बाल से सिल्क बोर्ड जंक्शन तक बनाया जाएगा, जिससे यात्रा का समय काफी कम हो जाने की उम्मीद है।सरकार का कहना है कि इससे शहर के व्यस्त इलाकों में ट्रैफिक जाम से बड़ी राहत मिलेगी।
क्या विधान सौध और लालबाग पर पड़ेगा असर?
जब से इस प्रोजेक्ट की बात शुरू हुई है, लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस निर्माण से शहर की ऐतिहासिक इमारतों और पार्कों को कोई नुकसान पहुंचेगा। इस पर उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने साफ किया है कि विधान सौध के आसपास 1 किलोमीटर के दायरे में कोई भी एग्जिट रैंप नहीं बनाया जाएगा, ताकि वहां ट्रैफिक की समस्या न हो।
हालांकि, लालबाग को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से लालबाग की हरियाली को नुकसान पहुंच सकता है। खबरों के मुताबिक, सुरंग के निर्माण के लिए लालबाग की लगभग छह एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया जा सकता है, जिसमें रैंप और वेंटिलेशन के लिए शाफ्ट बनाए जाएंगे। इससे न सिर्फ वहां के पेड़-पौधों पर असर पड़ेगा, बल्कि ऐतिहासिक लालबाग रॉक को भी खतरा हो सकता है। इस मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका भी दायर की गई है।
क्या यह प्रोजेक्ट आसान होगा: बेंगलुरु की भौगोलिक बनावट के कारण इस प्रोजेक्ट में कई तरह की चुनौतियां भी हैं। यहां की ज़मीन में कठोर चट्टानें हैं, जिससे सुरंग की खुदाई करना मुश्किल और महंगा हो सकता है। इसके अलावा, इससे शहर के भूजल स्तर पर भी असर पड़ सकता है, जिससे पानी की कमी और ज़मीन धंसने का खतरा पैदा हो सकता है।
विपक्ष और जनता की राय: इस प्रोजेक्ट को लेकर विपक्ष और कई नागरिक समूह भी सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को जल्दबाज़ी करने के बजाय पूरी योजना पर ठीक से विचार करना चाहिए। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट की जगह अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाया जाए, तो ट्रैफिक की समस्या से ज़्यादा अच्छे से निपटा जा सकता है।
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने की बात कही है।अब देखना यह होगा कि क्या यह सुरंग वाली सड़क बेंगलुरु वालों को वाकई ट्रैफिक जाम से निजात दिला पाएगी या यह भी एक और विवादित प्रोजेक्ट बनकर रह जाएगा।