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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार इंटरनेशनल क्रिकेट से अलविदा कह दिया। लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर रहने और लगातार घरेलू क्रिकेट में रन बनाकर वापसी की कोशिशों के बावजूद जब चयनकर्ताओं ने नई पीढ़ी पर भरोसा जताया, तो पुजारा ने बैट रख देने का फैसला ले लिया।
साल 2023 में ओवल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल को उनके करियर का आखिरी इंटरनेशनल मैच माना जाएगा। उसके बाद तिरंगे की जर्सी पहनने का मौका उन्हें दोबारा नहीं मिला। और अब, 37 साल की उम्र में, उन्होंने वह ऐलान कर दिया जिसने करोड़ों फैंस की आंखें नम कर दीं।
भावुक संदेश में याद किए सुनहरे पल
पुजारा ने सोशल मीडिया पर एक लंबा संदेश साझा करते हुए लिखा— "भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर देश के लिए सब कुछ झोंक देना… यह वो अनुभव है जिसे शब्दों में पिरोना असंभव है।"
अपने प्रशंसकों और साथियों का धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि वह इस सुनहरे अध्याय को बंद कर रहे हैं, लेकिन दिल में भारतीय क्रिकेट का हिस्सा बने रहेंगे।
टेस्ट टीम के "दीवार" और फैंस के बीच "विश्वास"
करीब एक दशक से अधिक वक्त तक भारतीय टेस्ट टीम के स्तंभ रहे पुजारा को ‘नई दीवार’ कहा जाता रहा है। राहुल द्रविड़ की शैली की याद दिलाती उनकी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी ने कई बार भारत को मुश्किल परिस्थितियों से निकाला। चाहे गेंदबाज की रफ्तार हो या उछाल भरी पिच—पुजारा का संयमित चेहरा और बल्ले की दृढ़ता विपक्ष के लिए दीवार साबित हुई।
उन्होंने भारत के लिए 103 टेस्ट मैच खेले और 7195 रन जुटाए। इस दौरान उनके बल्ले से 19 शतक व 35 अर्धशतक निकले। खास बात यह रही कि वे बड़ी पारियां खेलने के लिए मशहूर रहे तीन डबल सेंचुरी इसके गवाह हैं।
- 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट में नाबाद 206 रन
- 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 204 रन की डबल सेंचुरी
- और 2017 में फिर से कंगारुओं के खिलाफ अहम 202 रन
वनडे करियर में उन्हें ज्यादा लंबा मौका नहीं मिला। महज 5 मैचों में 51 रन ही बना सके। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी धाक और भरोसेमंद छवि ने दुनिया को उनका लोहा मानने पर मजबूर किया।
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