
Up Kiran, Digital Desk: जैसे ही हल्की ठंड शुरू होती है और हवा में एक ख़ास तरह की महक घुल जाती है, तो मन को समझ आ जाता है कि छठ का त्योहार आने वाला है. छठ सिर्फ़ एक पूजा या त्योहार नहीं है, यह एक एहसास है, एक गहरी आस्था है जो बिहार, यूपी और पूर्वांचल के लोगों को दुनिया के किसी भी कोने में अपनी जड़ों से जोड़े रखती है.
और इस एहसास को और भी गहरा बनाते हैं छठ के पारंपरिक और भक्ति गीत.
गीतों में बसती है छठ की आत्मा: डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जा रहा है, चारों तरफ़ दीये जल रहे हैं और बैकग्राउंड में छठ का कोई मधुर गीत बज रहा हो... "मारबो रे सुगवा धनुष से..." या "कांच ही बांस के बहंगिया...". ये गीत सुनते ही माहौल अपने आप भक्तिमय हो जाता है. ये सिर्फ़ गाने नहीं हैं, ये वो धुनें हैं जो बचपन की यादें ताज़ा कर देती हैं और मन को सीधे छठी मैया से जोड़ देती हैं.
अनु दुबे और सिद्धि पांडे जैसी आवाजें
आजकल कई लोक गायक और गायिकाएं छठ के गीतों को अपनी आवाज़ दे रहे हैं, लेकिन कुछ आवाजें ऐसी हैं जो लोगों के दिलों में बस चुकी हैं. अनु दुबे का नाम छठ के गीतों के साथ ऐसे जुड़ गया है कि जैसे ही उनके गाए हुए गीत कानों में पड़ते हैं, छठ का पूरा माहौल आँखों के सामने आ जाता है. उनकी आवाज़ में एक ऐसी कशिश और भक्ति है जो सुनने वाले को भाव-विभोर कर देती है.
इसी तरह, और भी कई कलाकार जैसे कि सिद्धि पांडे हैं, जिनके गाए हुए छठ गीत काफी पसंद किए जाते हैं. ये कलाकार हमारी परंपरा को ज़िंदा रखे हुए हैं और नई पीढ़ी तक पहुँचा रहे हैं.
घर से दूर, पर छठ के करीब
जो लोग अपने घर-परिवार से दूर रहते हैं, उनके लिए तो ये गीत किसी दवा से कम नहीं हैं. जब वो इन गीतों को सुनते हैं, तो महसूस करते हैं जैसे वो भी अपने घर पर, उसी घाट पर मौजूद हैं और छठी मैया की पूजा कर रहे हैं. ये गीत उन्हें अकेला महसूस नहीं होने देते.
तो इस छठ, चाहे आप कहीं भी हों, इन भक्तिमय गीतों को ज़रूर सुनें. ये आपके मन को शांति देंगे और आपको उस पावन पर्व का हिस्सा होने का एहसास कराएंगे. छठी मैया आप सब पर अपनी कृपा बनाए रखें.