_1667333498.png)
Up Kiran, Digital Desk: भारत के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस हमले की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। अब इस हमले में संलिप्त आतंकवादी संगठन ‘द रेजिडेंट फ्रंट’ (TRF) को लेकर चीन का बदला हुआ रुख सामने आया है। जो चीन अब तक पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुटों के प्रति नरमी दिखाता रहा था, उसने पहली बार TRF के खिलाफ कड़ा बयान दिया है और अमेरिका के कदम का समर्थन करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ वह किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं रखता।
TRF पर अमेरिका की कार्रवाई, चीन की अप्रत्याशित सहमति
हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान में सक्रिय TRF को आधिकारिक रूप से आतंकी संगठन घोषित कर दिया। इस फैसले को लेकर चीन की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली रही, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में चीन पहले जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई में अड़चन डालता रहा है। इस बार, बीजिंग स्थित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लीन जियान ने कहा कि चीन हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है और TRF जैसे संगठनों के प्रति किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी।
पहलगाम हमला बना चीन की छवि का सवाल
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए बर्बर हमले ने वैश्विक समुदाय को हिला दिया। लश्कर समर्थित TRF के आतंकियों द्वारा की गई इस कायराना हरकत ने चीन की कूटनीति को मुश्किल में डाल दिया। दुनिया भर में इस हमले की निंदा हुई और TRF के प्रति चीन का कोई भी नरम रुख उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठघरे में ला सकता था। शायद इसी वजह से इस बार बीजिंग ने आतंकियों से दूरी बनाना ही बेहतर समझा।
भारत से संबंध सुधारने की रणनीति भी वजह
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कठोर रुख केवल नैतिक कारणों से प्रेरित नहीं है, बल्कि इसके पीछे रणनीतिक समीकरण भी हैं। अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और वैश्विक दबाव के बीच चीन भारत के साथ अपने रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में प्रयासरत है। ऐसे में भारत की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाना उसके लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में दिए एक बयान में कहा था कि रूस और चीन मिलकर भारत को रणनीतिक साझेदार बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में TRF के मुद्दे पर चीन का समर्थन भारत के प्रति उसकी इस नीति का हिस्सा माना जा सकता है।
TRF की पृष्ठभूमि: कैसे बना एक नया आतंक का चेहरा
द रेजिडेंट फ्रंट की स्थापना वर्ष 2019 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों ने मिलकर की थी। इसका मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में हिंसा फैलाना और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना रहा है। 'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन' (ORF) के अनुसार, TRF के अधिकांश ऑपरेशनल कमांडर पाकिस्तान में प्रशिक्षित किए जाते हैं और ये संगठन खुद को “स्थानीय” दिखाने की कोशिश करता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की भूमिका को छिपाया जा सके।
--Advertisement--