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Up Kiran, Digital Desk: भारत पर अमेरिका द्वारा 50% तक टैरिफ लगाने और आगे और शुल्क बढ़ाने की धमकी को लेकर चीन ने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। चीन के भारत में राजदूत शू फेइहोंग ने गुरुवार को कहा कि वॉशिंगटन की यह रणनीति बुनियादी तौर पर मुक्त व्यापार के सिद्धांतों के खिलाफ है और इसका असर केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन पर भी पड़ेगा।

राजदूत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि  अत्याचार के सामने चुप्पी से धौंस जमाने वालों का हौसला बढ़ता है। चीन किसी भी हाल में भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।

भारत-चीन सहयोग पर जोर

शू फेइहोंग ने इस अवसर पर भारत और चीन के बीच सहयोग की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश न केवल आर्थिक रूप से एशिया के "दोहरे इंजन" हैं, बल्कि उनकी साझेदारी वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।

उनके अनुसार, “इतने बड़े आकार के दो पड़ोसी देशों के लिए साझा विकास का रास्ता केवल एकता और सहयोग में है। चीन-भारत की मित्रता पूरे एशिया को लाभान्वित करती है, और यदि दोनों एकजुट रहते हैं तो विश्व व्यवस्था को भी नई दिशा मिलती है।”

भारतीय वस्तुओं को चीनी बाजार में जगह

राजदूत ने यह भी घोषणा की कि चीन भारतीय वस्तुओं के लिए अपने बाजार को और अधिक खुला करेगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास आईटी, सॉफ्टवेयर और बायोमेडिसिन जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट बढ़त है, वहीं चीन इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग, आधारभूत ढांचे और नई ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

रणनीतिक विश्वास और संवाद की अपील

शू फेइहोंग ने कहा कि भारत और चीन को रणनीतिक आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए और संदेह की राजनीति से बचना चाहिए। उनके अनुसार, दोनों देश प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदारी की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मतभेदों का समाधान टकराव से नहीं, बल्कि संवाद से होना चाहिए।

व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ

राजदूत ने यह भी जोड़ा कि मौजूदा समय में दुनिया "अशांति और गहन परिवर्तन" से गुजर रही है। ऐसे माहौल में भारत और चीन की भूमिका और ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि दोनों देश न सिर्फ़ विकासशील दुनिया के नेता हैं, बल्कि राष्ट्रीय कायाकल्प के महत्वपूर्ण चरण से भी गुजर रहे हैं।

सांस्कृतिक और मानवीय संपर्क

फेइहोंग ने हाल के महीनों में लोगों के बीच आदान-प्रदान में आई नई प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की अनुमति दी है। वहीं भारत ने भी चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीज़ा जारी करना फिर से शुरू किया है।

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